मुंबई, राष्ट्रबाण। महाराष्ट्र में जीका वायरस के 56 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इनमें से 50 मामले पुणे से हैं। 16 गर्भवती महिलाएं संक्रमित हुईं हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसके बावजूद यह गर्भवती महिलाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इस वायरस के कारण भ्रूण का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाता। महाराष्ट्र में ज़ीका को लेकर हेल्थ अलर्ट है। केंद्र की सूची में महाराष्ट्र में दस मामले दिखते हैं, लेकिन राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस साल सबसे ज़्यादा 56 मामलों की पुष्टि की है।
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इसलिए चिकित्सकों की निगरानी
जीका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाएं डॉक्टरों की निगरानी में हैं। क्योंकि इनको लेकर ख़ास चिंताएं हैं, गर्भवती महिलाओं में ये वायरस प्लेसेंटा के जरिए भ्रूण तक पहुंच सकता है। जीका के कारण बच्चा माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात मेडिकल कंडीशन के साथ पैदा हो सकता है। इसका मतलब है कि बच्चे का मस्तिष्क पूरी तरह विकसित नहीं होने का ख़तरा है।
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हल्के लक्षणों पर भी ध्यान ज़रूरी
जीका वायरस मच्छर से होने वाली बीमारी है। मुख्य रूप से एडीज मच्छरों द्वारा फैलती है। इसके इलाज के लिए कोई खास दवा नहीं। बुखार और दर्द से जुड़ी कुछ दवाएं देकर इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसका सबसे अच्छा इलाज बचाव ही है। इसे लेकर समस्या यह है कि इसके लक्षणों के बारे में समय से पता नहीं चल पाता। और शरीर में बीमारी फैली तो ख़तरनाक भी हो सकती है इसलिए हल्के लक्षणों पर भी ध्यान ज़रूरी है।