शक्ति पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट लाल : स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा- हमें काफी दु:ख है

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  • यह कदम उठाया…पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाया

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित असामान्य आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने बुधवार 7 अगस्त को हाईकोर्ट के आदेश में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित स्थगन आदेश की आलोचना करने वाली “अनुचित” टिप्पणियों को हटा दिया। यह स्वत: संज्ञान मामला हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजबीर सहरावत द्वारा 17 जुलाई को पारित आदेश पर था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह मानने की प्रवृत्ति थी कि वह अधिक सुप्रीम है।

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हाईकोर्ट जज को चेतावनी

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की 5 जजों की पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई की और कहा कि हाईकोर्ट के जजों द्वारा की गई टिप्पणियां गंभीर चिंता का विषय हैं। पीठ ने हाईकोर्ट जज को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेशों पर विचार करते समय उनसे अधिक सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है।

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आदेश में पीठ ने कहा

जस्टिस राजबीर सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट के संबंध में ऐसी टिप्पणियां की हैं, जो गंभीर चिंता का विषय हैं। न्यायिक व्यवस्था की पदानुक्रमिक प्रकृति के संदर्भ में न्यायिक अनुशासन का उद्देश्य सभी संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखना है, चाहे वह जिला कोर्ट हो, हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट। एकल न्यायाधीश के आदेश में की गई टिप्पणियां अंतिम आदेश के लिए अनावश्यक थीं, जो पारित किया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित पिछले आदेशों के संबंध में अनावश्यक टिप्पणियां बिल्कुल अनुचित हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन करना पसंद का मामला नहीं है, बल्कि संवैधानिक बाध्यता का मामला है। किसी आदेश से पक्षकार व्यथित हो सकते हैं। जज कभी भी उच्च संवैधानिक मंच द्वारा पारित आदेश से व्यथित नहीं होते। ऐसी टिप्पणियां पूरी न्यायिक मशीनरी को बदनाम करती हैं। इससे न केवल इस न्यायालय की बल्कि हाईकोर्ट की भी गरिमा प्रभावित होती है।”

फिर पीठ ने लिया यह फैसला

पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने जस्टिस सेहरावत के आदेश पर पहले ही स्वत: संज्ञान लिया और उस पर रोक लगा दी। हालांकि, चूंकि टिप्पणियां सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कमजोर करती हैं, इसलिए पीठ ने कहा कि वह उन्हें हटाने का आदेश दे रही है।

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