बैतूल, राष्ट्रबाण। बैतूल (Betul) जिला जेल की बेशकीमती भूमि को निजी हाथों में सौंपने और ग्राम कढ़ाई की चरनोई भूमि पर नई जेल बनाने के फैसले ने हड़कंप मचा दिया है। इस विवादास्पद फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य मिश्रा ने मोर्चा संभालते हुए सभी संबंधित पक्षों को कानूनी नोटिस जारी कर दिया है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिससे प्रशासन पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है।
इस पूरे घटनाक्रम के खिलाफ पत्रकार मुकेश गायकवाड़ ने मोर्चा खोलते हुए इसे बैतूल नगर के विकास के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र करार दिया है। उन्होंने खुलासा किया कि बैतूल नगर पालिका ने इस भूमि को साप्ताहिक बाजार, पार्किंग और अन्य विकास कार्यों के लिए मांगा था, लेकिन अधिकारियों ने इसे सीधे निजी क्षेत्र को सौंपने का फैसला कर लिया।
गायकवाड़ ने बताया कि कलेक्टर बैतूल ने राज्य की पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 और 2022 की अनदेखी करते हुए यह फैसला लिया, जबकि नीति के अनुसार नगरीय निकाय की सीमा के बाहर किसी भी सार्वजनिक सुविधा का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद प्रशासन ने नियमों को ताक पर रखकर ग्राम कढ़ाई में जेल स्थानांतरित करने का निर्णय ले लिया। इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश नजूल निर्वतन निर्देश 2020 का सहारा लेते हुए ग्राम कढ़ाई की भूमि को केवल जेल के लिए ही नहीं, बल्कि फर्नीचर क्लस्टर के लिए भी आवंटित कर दिया गया। इससे साफ है कि सरकारी नीतियों की अनदेखी कर सार्वजनिक भूमि को निजी हितों के लिए इस्तेमाल किया गया।
ग्रामसभा की सहमति नहीं, जबरन की भूमि अधिग्रहण
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि ग्राम कढ़ाई की चरनोई भूमि को बिना ग्रामसभा की सहमति के किस आधार पर आवंटित किया गया? म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 237(1) के अनुसार, सार्वजनिक प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि को नजूल भूमि घोषित नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद प्रशासन ने नियमों को दरकिनार कर चरनोई भूमि का आवंटन कर दिया। यह प्रक्रिया पूरी तरह से गड़बड़ियों से भरी हुई थी। ग्रामसभा से अनुमति लिए बिना केवल पंचायत सचिव और तत्कालीन सरपंच से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर इस फैसले को लागू कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आदित्य मिश्रा ने कानूनी कार्रवाई की पूरी तैयारी कर ली है और यदि प्रशासन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह मामला प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है।