भोपाल, राष्ट्रबाण: मध्य प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल में 58,000 से अधिक बच्चे लापता होने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने इसे कानून व्यवस्था पर धब्बा बताते हुए सरकार से विशेष टास्क फोर्स (STF) गठित करने की माँग की है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में लापता बच्चों को ढूँढना असंभव नहीं है। इस मुद्दे ने राज्य में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है, और कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।
इंदौर में सबसे ज्यादा लापता, बेटियों की संख्या चिंताजनक
कमलनाथ ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 58,000 लापता बच्चों में 47,000 बेटियाँ और 11,000 बेटे हैं। सबसे अधिक मामले इंदौर से सामने आए हैं, जहाँ बाणगंगा थाना क्षेत्र में 449 बेटियाँ लापता हुईं। इसके बाद लसूड़िया (250), चंदन नगर (220), आजाद नगर (178), और द्वारकापुरी (168) थानों से भी बड़ी संख्या में बच्चे गायब हैं। धार जिला लापता बच्चियों के मामले में दूसरे स्थान पर है। कमलनाथ ने इसे राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल बताया और कहा कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित न हो पाना भविष्य के लिए खतरा है।
STF से उम्मीद, तकनीक का उपयोग जरूरी
कमलनाथ ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि आधुनिक तकनीक और AI का उपयोग कर लापता बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से माँग की कि मध्य प्रदेश पुलिस की एक विशेष टास्क फोर्स बनाई जाए, जो इन मामलों की गहन जाँच करे। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कई बच्चे अपने माता-पिता तक वापस पहुँच सकते हैं।
सरकार पर दबाव, पहले भी उठ चुके हैं सवाल
मध्य प्रदेश विधानसभा में पहले भी लापता लोगों का मुद्दा उठ चुका है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, जून 2025 तक 23,000 से अधिक महिलाएँ और 1,900 लड़कियाँ लापता हैं। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, और रीवा जैसे जिलों में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। कमलनाथ ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों और महिलाओं का गायब होना सरकार की नाकामी को दर्शाता है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा में भी जोर-शोर से उठाने की तैयारी की है।
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