वाराणसी कोर्ट के आदेश पर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज, रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी का मामला

Rahul Maurya

    वाराणसी, राष्ट्रबाण: उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी छोड़ चुके नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट के आदेश पर कैंट थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मामला रामचरितमानस पर की गई विवादित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसके चलते धार्मिक भावनाएं आहत होने और समाज में वैमनस्य फैलाने के आरोप लगाए गए हैं।

    कब और कैसे हुआ विवाद

    जनवरी 2023 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह ग्रंथ तुलसीदास ने अपनी “खुशी के लिए लिखा” और इसे “बकवास” करार दिया था। उन्होंने यहां तक कहा था कि इसमें शामिल आपत्तिजनक अंश हटाए जाएं या फिर इसे पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाए। मौर्य के इस बयान के बाद देश-विदेश में हिंदू समाज के लोगों की भावनाएं आहत हुईं और व्यापक विरोध शुरू हो गया।

    अधिवक्ता की शिकायत पर दर्ज हुई FIR

    अधिवक्ता अशोक कुमार ने इस बयान के खिलाफ वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और इंटरव्यू का वीडियो भी साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किया था। हालांकि शुरुआती दौर में अक्टूबर 2023 में याचिका खारिज कर दी गई थी, लेकिन रिवीजन याचिका दायर होने के बाद अदालत ने इसे गंभीर मामला मानते हुए सुनवाई की। इसके बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कैंट पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया।

    किन धाराओं में केस दर्ज

    कैंट थाने की पुलिस ने मौर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए (धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाएं आहत करना), 504 (अपमान करना) और 505(2) (सामाजिक वैमनस्य फैलाने के इरादे से बयान देना) के तहत केस दर्ज किया है।

    राजनीतिक करियर और विवाद

    स्वामी प्रसाद मौर्य लंबे समय से विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं। उनके इस बयान पर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए और एक मौके पर उन पर हमला भी किया गया था। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में बसपा, भाजपा और सपा जैसी बड़ी पार्टियों के साथ काम किया है। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने सपा छोड़कर राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन किया था। अब इस ताज़ा कार्रवाई ने उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

    पुलिस जांच जारी

    कैंट थाना प्रभारी ने बताया कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस इंटरव्यू के वीडियो और अन्य साक्ष्यों की पड़ताल कर रही है और जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं, स्थानीय संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है और सख्त कदम उठाने की मांग की है।

    Read Also: इंदौर के कुख्यात गैंगस्टर सलमान लाला की तालाब में मिली लाश, दर्ज थे 32 गंभीर मामले

    error: Content is protected !!