बलरामपुर, राष्ट्रबाण: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक बड़ी त्रासदी ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। धनेशपुर गांव में बना 40 साल पुराना लूतिया बांध मंगलवार देर रात तेज बारिश के कारण टूट गया, जिससे अचानक आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन लोग अब भी लापता हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं।
कब हुआ हादसा?
पुलिस और प्रशासन के अनुसार, लूतिया बांध, जिसे सतबहिनी बांध के नाम से भी जाना जाता है, मंगलवार रात करीब 10 बजे टूट गया। भारी बारिश के कारण बांध पानी से लबालब भर गया था, और उसका एक हिस्सा ढह गया। इससे बाढ़ का पानी तेजी से नीचे बसे धनेशपुर गांव में घुस गया। बाढ़ की चपेट में तीन घर पूरी तरह बह गए, और कई मवेशी भी पानी में बह गए। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में एक महिला और उसकी सास शामिल हैं, जो उस समय घर में सो रही थीं। चार शव बरामद कर लिए गए हैं, और उनकी पहचान कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
NDRF और प्रशासन की कार्रवाई
हादसे की सूचना मिलते ही बलरामपुर जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। NDRF की एक विशेष टीम को तुरंत बुलाया गया, जो अब लापता तीन लोगों की तलाश में जुटी है। बचाव कार्य में कन्हार नदी के आसपास के इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि बाढ़ का पानी नदी में मिल गया है। जिला कलेक्टर रजेंद्र कटारा ने बताया कि प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर बनाए गए हैं, जहां भोजन, पानी, और अस्थायी रहने की व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने आसपास के गांवों में भी अलर्ट जारी किया है, क्योंकि बारिश का सिलसिला अभी थमा नहीं है।
बांध की स्थिति और बारिश का असर
लूतिया बांध 1980 के दशक में बनाया गया था, और इसकी मरम्मत कुछ साल पहले की गई थी। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने बांधों की नियमित जांच और रखरखाव की कमी इस तरह की त्रासदियों का कारण बन सकती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि बलरामपुर और आसपास के इलाकों में पिछले 24 घंटों में भारी बारिश हुई, और अगले कुछ दिनों तक बारिश का अनुमान है। यह बारिश एक निम्न दबाव क्षेत्र के कारण है, जो उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की ओर बढ़ रहा है।
समाज और अर्थव्यवस्था पर असर
इस हादसे ने न केवल धनेशपुर गांव में मातम फैलाया है, बल्कि आसपास के इलाकों में भी डर का माहौल है। बाढ़ से खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं, और 30 से ज्यादा मवेशियों के बह जाने की खबर है। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा और राहत सामग्री देने का वादा किया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस घटना पर दुख जताया और कहा कि सरकार पीड़ितों के साथ है।
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