उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले BJD और BRS ने वोटिंग से बनाई दूरी, NDA को फायदा?

Rahul Maurya

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक दिन पहले, 8 सितंबर 2025 को, बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने मतदान से दूर रहने का ऐलान कर दिया। दोनों दल, जो राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी गठबंधन (NDA या INDIA ब्लॉक) का हिस्सा नहीं हैं, ने अपनी तटस्थता बनाए रखने का हवाला दिया। यह फैसला 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसमें NDA के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी आमने-सामने हैं।

BJD का फैसला

BJD के नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने वरिष्ठ नेताओं और सांसदों से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया। उन्होंने बताया, “BJD का ध्यान ओडिशा के साढ़े चार करोड़ लोगों के विकास पर है। हम NDA और INDIA ब्लॉक दोनों से समान दूरी रखते हैं।” BJD के पास राज्यसभा में सात सांसद हैं, लेकिन लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। यह पहली बार नहीं है जब BJD ने ऐसा रुख अपनाया; 2012 में भी पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग से दूरी बनाई थी।

BRS का रुख

BRS के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने तेलंगाना में यूरिया की कमी को इसका कारण बताया। उन्होंने कहा, “हमारा वोटिंग से दूर रहना तेलंगाना के किसानों की तकलीफ को दर्शाता है। BJP और कांग्रेस, दोनों ने यूरिया की कमी का समाधान नहीं किया। अगर NOTA का विकल्प होता, तो हम उसे चुनते।” BRS के पास राज्यसभा में चार सांसद हैं। उनके इस फैसले को किसानों के मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

इसका असर

BJD और BRS के इस फैसले से NDA को अप्रत्यक्ष लाभ हो सकता है, क्योंकि उनके सांसदों की अनुपस्थिति विपक्षी गठबंधन के वोटों को प्रभावित कर सकती है। BJP नेताओं ने इसे ‘NDA के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन’ बताया, जबकि कांग्रेस ने BJD पर ‘BJP की मदद करने’ का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता भक्त चरण दास ने कहा, “BJD का यह फैसला BJP के साथ उनकी नजदीकी को दर्शाता है।”

उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां

9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा। यह चुनाव संसद के दोनों सदनों के सांसदों के निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। यह पद जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफे के बाद खाली हुआ था।

BJD और BRS का वोटिंग से दूरी बनाना उपराष्ट्रपति चुनाव में नया मोड़ ला सकता है। यह फैसला जहां दोनों दलों की तटस्थता को दर्शाता है, वहीं यह NDA के लिए फायदेमंद हो सकता है। अब नजरें 9 सितंबर के मतदान पर टिकी हैं।

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