नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: नई दिल्ली में आज देश के नए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इस खास मौके पर उनसे पहले पद संभाल चुके जगदीप धनखड़ भी नजर आए। 22 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद ये पहला अवसर था, जब धनखड़ सार्वजनिक रूप से दिखे। उनके इस अचानक गायब हो जाने से विपक्ष में सवाल उठ रहे थे, लेकिन आज की मौजूदगी ने उन कयासों को विराम दे दिया। शपथ समारोह में पूर्व राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी जैसे दिग्गज भी पहुंचे।
धनखड़ की वापसी
जगदीप धनखड़ का शपथ समारोह में पहुंचना सबके लिए सरप्राइज था। इस्तीफे के बाद करीब डेढ़ महीने से वो किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए थे। समारोह स्थल पर गृह मंत्री अमित शाह ने उनका अभिवादन किया और नमस्ते से स्वागत किया। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने भी धनखड़ से बातचीत की और उनका कुशलक्षेम पूछा। जब सीपी राधाकृष्णन शपथ लेने के लिए आए, तो धनखड़ ने खड़े होकर उनका सम्मान किया। दोनों के बीच कुछ पल की बातचीत भी हुई। धनखड़ मेहमानों की तरह वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी के बगल में बैठे दिखे।
शपथ समारोह में दिग्गजों की उपस्थिति
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसे केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। राज्यों से भी कई नेता पहुंचे, जिनमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, हरियाणा के नायब सिंह सैनी, उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी शामिल थे। ओडिशा के सीएम मोहन चरण माझी, कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, झारखंड के संतोष गंगवार और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी नजर आए। एनडीए के सूत्रों के मुताबिक, शुभ मुहूर्त देखकर ही ये समारोह आयोजित किया गया।
चुनाव और राधाकृष्णन का सफर
9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही हासिल हुए। इस जीत के साथ राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने। इससे पहले वो महाराष्ट्र के राज्यपाल थे, जहां उनकी जगह गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। तमिलनाडु में उन्हें “मोदी” कहा जाता रहा, क्योंकि उन्होंने कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीता। साथ ही, वो तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
कयासों का अंत
धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा था कि वो कहां हैं और उनकी तबीयत कैसी है। आज की उपस्थिति ने इन सवालों को शांत कर दिया। समारोह ने न सिर्फ नए उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत की, बल्कि पुराने सहयोगियों की एकजुटता भी दिखाई। ये मौका सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना रहा, जहां धनखड़ की वापसी को सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
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