पटना, राष्ट्रबाण: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में एक नया बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने जेडीयू के दिग्गज नेता और मंत्री अशोक चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीते दो सालों में उन्होंने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जमा कर ली है। किशोर ने चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी, उनके दामाद सायन कुणाल और सास अनिता कुणाल को भी इस मामले में लपेट लिया। ये आरोप शुक्रवार को पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लगाए गए।
अशोक चौधरी पर भ्रष्टाचार का ठप्पा
प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी को नीतीश कुमार का ‘दाहिना हाथ’ बताते हुए उन्हें ‘भ्रष्टतम सर्वदलीय नेता’ करार दिया। उन्होंने कहा कि पहले लोग बेनामी संपत्ति के लिए लालू यादव का नाम लेते थे, लेकिन अब अशोक चौधरी ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। किशोर के मुताबिक, उनके पास सारे सबूत हैं जमीनों के रजिस्ट्री पेपर से लेकर बैंक ट्रांजेक्शन तक। उन्होंने खुलासा किया कि 2022 में शांभवी की सगाई और शादी के बीच पटना में 38 करोड़ रुपये से ज्यादा की पांच जमीनें खरीदी गईं। इनका मालिकाना हक चौधरी की पत्नी, सायन कुणाल, अनिता कुणाल या फिर उनके परिवार से जुड़े ‘मानव वैभव विकास ट्रस्ट’ के नाम पर दर्ज है।
किशोर ने ट्रस्ट पर सवाल उठाते हुए पूछा, “शांभवी की सगाई के बाद ये ट्रस्ट करोड़ों की जमीनें कैसे खरीद रहा है? पैसा कहां से आ रहा है?” उन्होंने बताया कि ट्रस्ट की ट्रस्टी और ट्रेजरर अनिता कुणाल हैं, और चौधरी दंपति ट्रस्ट के सदस्य नहीं होने के बावजूद अनिता के खाते से उनकी पत्नी के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं। ये सबूत आने वाले दिनों में और विस्तार से पेश किए जाएंगे, उन्होंने कहा।
पुरानी दुश्मनी का नया अध्याय
ये आरोप कोई नई बात नहीं है। जून में अशोक चौधरी ने ही प्रशांत किशोर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। तब किशोर ने दावा किया था कि शांभवी ने समस्तीपुर लोकसभा सीट का टिकट चिराग पासवान की लोजपा-आर से ‘पैसे देकर’ खरीदा था। शांभवी वर्तमान में सांसद हैं, और किशोर अक्सर चिराग की तारीफ करते नजर आते हैं। अब ये नया हमला लगता है जैसे पुरानी रंजिश का जवाब। किशोर ने कहा, “चौधरी खुद को महादेव का भक्त बताते हैं, लेकिन असल में वे लक्ष्मी के उपासक हैं।”
जमीन सौदों में खेल
प्रशांत किशोर ने एक खास उदाहरण देकर चौधरी पर निशाना साधा। उन्होंने बताया कि 2019 में चौधरी के पीए रहे योगेंद्र दत्त के नाम पर बिक्रम में 23 कट्ठा जमीन 34 लाख रुपये में खरीदी गई। दो साल बाद ये जमीन शांभवी के नाम ट्रांसफर कर दी गई। किशोर के अनुसार, 20 फरवरी 2021 को चौधरी ने दत्त को 10 लाख रुपये भेजे, और आयकर विभाग के नोटिस के बाद 27 अप्रैल 2025 को 24 लाख और ट्रांसफर किए। उन्होंने सवाल किया, “अगर सब साफ था, तो 2021 में ही पूरा पेमेंट क्यों नहीं किया गया? 34 लाख में से 10 लाख दिखा और बाकी 24 का हिसाब क्या?”
ये विवरण किशोर ने दस्तावेजों के आधार पर पेश किए, जो उनके पास उपलब्ध हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे और कई राज खुलने वाले हैं, जो बिहार की राजनीति को हिला देंगे।
राजनीतिक हलचल तेज
ये आरोप बिहार की सियासत में भूचाल ला सकते हैं। जेडीयू और जन सुराज के बीच टकराव पहले से ही तीखा है, और ये नया मोड़ नीतीश सरकार पर दबाव बढ़ा सकता है। विपक्षी दलों ने किशोर के दावों का समर्थन किया है, जबकि जेडीयू ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी। अशोक चौधरी की ओर से भी चुप्पी साधे रखी गई है। क्या ये आरोप कोर्ट में पहुंचेंगे या राजनीतिक जंग का हथियार बनेंगे? आने वाले दिन बताएंगे। बिहार के लोग इस ड्रामे को बेचैन होकर देख रहे हैं, क्योंकि ये सीधे उनके नेताओं की साख से जुड़ा है।
Read also: BJP विधायक के बयान पर भड़के शरद पवार, CM फडणवीस को लगाया फोन