सिवनी, राष्ट्रबाण। पत्थर माफिया और राजनीतिक संरक्षण की सांठगांठ का एक नया ‘खेल’ सिवनी के राधादेही गांव में खुलकर सामने आ रहा है। यह जुगलबंदी अब उच्च-स्तरीय जांच के रडार पर है, लेकिन सवाल यह है कि पैसा और सत्ता की ताकत किस हद तक कानून को बेअसर कर सकती है? जिला कलेक्टर शीतला पटेल ने ग्राम राधादेही में कथित अवैध तालाब निर्माण और पत्थर चोरी के गंभीर आरोपों की जांच के लिए तुरंत एक उच्च-स्तरीय टीम को भेजा था।
यह कार्रवाई तब हुई जब ग्रामवासियों और पंचों ने सरपंच पति शिवनंदन चंद्रवंशी पर सीधा आरोप लगाया कि उन्होंने बिना किसी पंच या ग्रामवासी की सहमति से तालाब गहरी करण का प्रस्ताव पारित किया। ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि सरपंच पति इस तालाब की आड़ में पत्थर-माफिया केशव अग्रवाल के लिए पत्थर चोरी का एक नया ‘नेटवर्क’ तैयार कर रहे हैं। यह विकास नहीं, बल्कि खुलेआम लूट की साजिश है।
एक्सयूवी और इंडियन कॉफी हाउस से खुली जुगलबंदी की पोल
अब सबसे सनसनीखेज खुलासा सामने आया है और जन-चर्चा का विषय बना हुआ है पत्थर-माफिया केशव अग्रवाल और सरपंच पति शिवनंदन चंद्रवंशी की ‘जुगलबंदी’ की पुष्टि सार्वजनिक तौर पर हुई है। दिनांक 21 नवंबर 2025 को दोनों इंडियन कॉफी हाउस में साथ देखे फिर केशव अग्रवाल की महंगी एक्सयूवी कार में एक साथ घूमते नजर आ गए।
वही विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कल जहां-जहां केशव अग्रवाल वहां-वहां शिव नंदन चंद्रवंशी का नज़ारा था। यह मिलनसारिता साफ इशारा करती है कि तालाब से निकलने वाले कीमती पत्थरों को क्रेशर तक पहुँचाने की डील जमीन पर उतर चुकी है।
क्या पत्थर माफिया केशव अग्रवाल अपने ‘पैसे की ताकत’ के दम पर तालाब से निकले पत्थरों को अपनी क्रेशर पर ले जाकर, उन्हें पीसकर, चूरी और गिट्टी बनाकर मोटी कमाई करेंगे? यह सवाल अब हर ग्रामवासी एवं नगरवासी की जुबान पर है।
कैलाश विजयवर्गीय के ‘खास’ होने का दावा!
वही वह अपनी राजनीतिक पहुँच का परिचय देने में केशव अग्रवाल किसी से पीछे नहीं हैं। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पत्थर-माफिया केशव अग्रवाल हर जगह अपनी पहचान को भुनाने की कोशिश करते हैं। किसी भी सरकारी काम में रुकावट आने पर वह तुरंत ही ‘नेता नगरी’ का नाम लेकर अपना रुतबा दिखाते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जैसे ही तालाब से जुड़ा समाचार प्रकाशित हुआ है। तब केशव अग्रवाल ने अब अपने आप को वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का ‘बहुत खास’ बताना शुरू कर दिया है।
अब यह सवाल यह है कि क्या बड़े नेताओं का नाम इस्तेमाल कर यह माफिया कानूनी शिकंजे से बच निकलेगा? जनता को अब इंतजार है कि कलेक्टर शीतला पटेल द्वारा गठित जांच टीम की रिपोर्ट में क्या एक्शन लेती है, या यह मामला भी ‘राजनीतिक दबाव’ में आकर सिर्फ एक कागजी कार्रवाई बनकर रह जाएगा?
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