गर्भपात अधिकार तय कर सकते हैं अमेरिकी चुनाव का रुख

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  • डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में गर्भपात के अधिकार का मुद्दा डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों पार्टियों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। कई मतदाताओं के लिए अबॉर्शन अधिकार इस बार के सबसे अहम चुनावी मुद्दों में से एक है।

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कमला हैरिस रही हैं हमलावर

अपने चुनावी दौरों के दौरान कमला हैरिस हमेशा गर्भपात और प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे को प्रमुखता देती हैं। यही वजह है कि अमेरिका में बड़ी संख्या में गर्भपात अधिकार कार्यकर्ता और संस्थाएं उनके समर्थन में आगे आ रही हैं।

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अहम साबित हो सकता है मुद्दा

जुलाई में ही रिपब्लिकन पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस आयोजन के दौरान गर्भपात के मुद्दे का जिक्र बेहद कम हुआ। इसके उलट, हैरिस अपने हर चुनावी दौरे में अबॉर्शन का मुद्दा उठाती रही हैं। हैरिस यौन एवं प्रजनन अधिकारों के मुद्दों पर प्रगतिशील विचार रखती हैं। ऐसे में उनकी उम्मीदवारी को अबॉर्शन अधिकार कार्यकर्ताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है।

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ट्रंप का रुख

अबॉर्शन अधिकार जैसे-जैसे अमेरिकी राजनीति के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुए, वैसे-वैसे ट्रंप का पक्ष भी बदलता रहा। 2016 में उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जो महिलाएं अबॉर्शन करवाना चाहती हैं, उन्हें किसी- न-किसी तरह की सजा दी जानी चाहिए।

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जेडी वैंस भी विरोधी

उप-राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार जेडी वैंस भी गर्भपात अधिकारों के विरोधी हैं। उन्होंने पहले भी संकेत दिया है कि वह पूरे देश में गर्भपात अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन करते हैं।

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गर्भपात अधिकार बना केंद्र

जून 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में अबॉर्शन अधिकार सुनिश्चित करने वाले कानून ‘रो बनाम वेड’ को पलट दिया था। इस संवैधानिक अधिकार के हटते ही सभी राज्यों के लिए गर्भपात पर अपने मन मुताबिक कानून बनाने का रास्ता साफ हो गया।

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करोड़ों महिलाओं पर असर

गर्भपात अधिकार विरोधियों ने अबॉर्शन के लिए इस्तेमाल होने वाली गोलियों पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग शुरू कर दी। प्रतिबंध से घबराकर उन महिलाओं ने भी इन गोलियों को खरीदना शुरू कर दिया, जो गर्भवती नहीं थीं। अमेरिका में होने वाले आधे से अधिक गर्भपात अब इन गोलियों के जरिये हो रहे हैं। कठोर प्रतिबंधों के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं उन राज्यों का रुख करने को मजबूर हैं, जहां गर्भपात करवाने का अधिकार है। यहां तक कि कई महिलाएं सिर्फ गर्भपात के लिए पड़ोसी देश मेक्सिको भी जा रही हैं। हर पांच में से एक गर्भवती महिला को अमेरिका में अबॉर्शन के लिए दूसरे राज्य का रुख करना पड़ता है।

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