आसाराम बापू की तबीयत बिगड़ी, गुजरात हाईकोर्ट ने बढ़ाई जमानत अवधि

Rahul Maurya

    गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को सजायाफ्ता आसाराम बापू की अस्थायी जमानत को 21 अगस्त 2025 तक बढ़ाने का फैसला सुनाया। 2013 के दुष्कर्म मामले में गांधीनगर की एक अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आसाराम की खराब सेहत के चलते कोर्ट ने यह राहत दी है। वह इस समय इंदौर के एक निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। यह तीसरा मौका है, जब उनकी अस्थायी जमानत को बढ़ाया गया है। इस फैसले ने एक बार फिर इस हाई-प्रोफाइल मामले को सुर्खियों में ला दिया है।

    कोर्ट का फैसला और स्वास्थ्य स्थिति

    न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति पीएम रावल की पीठ ने आसाराम की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी अस्थायी जमानत को बढ़ाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है, और वह इंदौर के जुपिटर अस्पताल के आइसीयू में भर्ती हैं। चिकित्सा रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके शरीर में ट्रोपोनिन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ा हुआ है, जो उनकी गंभीर हालत को दर्शाता है। डॉक्टरों ने साफ कहा है कि उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है। कोर्ट ने इस आधार पर जमानत की मियाद को 21 अगस्त तक बढ़ाने का फैसला किया।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन

    हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 30 जुलाई 2025 के आदेश का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को उनकी सेहत के आधार पर अस्थायी जमानत की अवधि बढ़ाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने इसी निर्देश का पालन करते हुए यह राहत दी। इससे पहले, आसाराम को 7 जुलाई तक अस्थायी जमानत मिली थी, जिसे बाद में एक महीने के लिए बढ़ाया गया था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत की शर्तें पहले जैसी ही रहेंगी।

    मामले का इतिहास और विवाद

    आसाराम का यह मामला 2013 से चर्चा में रहा है, जब उन पर दुष्कर्म का आरोप लगा था। गांधीनगर की निचली अदालत ने उन्हें इस मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तब से यह मामला लगातार सुर्खियों में रहा है। आसाराम के समर्थक और आलोचक दोनों ही इस मामले पर अपनी-अपनी राय रखते रहे हैं। उनकी खराब सेहत के चलते बार-बार जमानत की मांग उठती रही है, जिसे कोर्ट ने समय-समय पर मंजूर किया है। इस बार भी उनकी गंभीर हालत को देखते हुए कोर्ट ने राहत दी, लेकिन यह फैसला फिर से विवादों को हवा दे सकता है।

    गुजरात हाई कोर्ट का यह फैसला आसाराम के मामले में एक और अहम मोड़ है। उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए दी गई अस्थायी जमानत ने इस मामले को फिर से चर्चा में ला दिया है। 21 अगस्त तक आसाराम की जमानत बढ़ने से यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है। क्या उनकी सेहत में सुधार होगा, या यह मामला और नए मोड़ लेगा, यह समय ही बताएगा।

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