बालाघाट, राष्ट्रबाण। पानी पी-पीकर भाजपा को कोसने वाले राजकुमार कर्राहे अब भाजपा के प्रत्याशी बनने के बाद वोट मांग रहे है। जबकि आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता रहते हुए रामकुमार कर्राहे ने भाजपा की कार्य योजना पर भी खूब उंगली उठाई थी। लेकिन कहावत है “बागी और दागी राजनैतिक दलो में ही स्वीकार किये जा सके है” परंतु चुनावी मैदान में न्यायमूर्ति की भूमिका निभाने वाली जनता दोगले इंसान के पक्ष में अपना निर्णय कैसे देगी?
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हम सब जानते है कि भाजपा प्रत्याशी राजकुमार कुर्राहे पहले भाजपा के ही सच्चे सिपाही हुआ करते थे, लेकिन भाजपा संगठन में उपेक्षित होने के बाद उन्होने भाजपा से स्तिफा दिया और आम आदमी पार्टी में शामिल होकर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाने लगे थे । यहां यह भी चर्चायें तेज हो चुकी थी कि राजकुमार कर्राहे आम आदमी पार्टी से लांजी सीट के प्रत्याशी हो सकते है और उनकी क्षेत्र में मजबूत पकड भी बनती जा रही है। परंतु जैसे ही उन्हे भाजपा से ऑफर मिला, उन्होने अपना स्वार्थ साधने के लिये आप का दामन छोड दिया और पुन: भाजपा के शामिल हो गये। इससे यह माना जा रहा है कि अपने स्वार्थ के लिये बार बार दल बदलने वाले कर्राहे पर जनता किस आधार पर विश्वास करे?
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कर्राहे जब आम आदमी पार्टी के लिये कार्य करते थे और जगह जगह पर सभा करते थे तो भाजपा को जमकर कोसते थे। वही शिवपुरी की एक घटना को लेकर लांजी तहसील में इन्होने एक ज्ञापन भी सौंपा था, जहां कर्राहे आम आदमी पार्टी की टोपी पहनकर भाजपा सरकार के 18 साल के कार्य योजना पर जमकर भड़के थे, लेकिन आज उसी कर्राहे के भाजपा प्रत्याशी बनते ही हवा निकल गई है और जुंबा से मीठे गुणगान निकल रहे है। जहां भाजपा सरकार की उन्ही 18 साल की कार्ययोजना का गुणगान करते हुए क्षेत्र की जनता से वोट मांग रहे है। गजब है राजकुमार कर्राहे और गजब है कर्राहे का दोगलापन।