बालाघाट, राष्ट्रबाण। आगामी विधानसभा चुनाव करीब हैं ऐसे में पार्टी से पहले बगावत कर चुके भाजपाई अपनी भूल सुधार कर पार्टी में आने के रास्ते बनाने का जुगाड़ ढूंढ रहे है, इसके साथ ही पार्टी से टिकिट की उम्मीद भी पाले हुए है।
ज्ञात हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन सांसद बोध सिंह भगत के घोटाले वाले कारनामो से भाजपा में बोध सिंह के नाम पर बहुत बबाल हुआ। पार्टी के ही नेताओ ने उम्मीद जताई थी कि बोध सिंह को अगर दोबारा से टिकिट मिली तो भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ सकता है, जिसके बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बोध सिंह की टिकिट काटते हुए सिवनी के भाजपा नेता ढालसिंह बिसेन पर विश्वास जताया और उस पर विजय भी हासिल की । लेकिन 2019 में अपनी टिकिट कटने के बाद बोधसिंह भगत ने पार्टी से बगावत की और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर गए। हालांकि इस चुनाव में बोधसिंह कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए थे।
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मजे की बात यह है की बोध सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद पूरी भाजपा ने बोध सिंह को मानाने की कोशिश की, चूँकि भाजपा को भय था की बोध सिंह के चुनावी मैदान में रहने से भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है लेकिन इसके विपरीत बोध सिंह को चुनाव में बेहद शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि परिणाम पूर्व बोध सिंह और उनके समर्थक बड़ी-बड़ी ढींगे हांकते हुए भाजपा को हराने और अपनी जीत का दावा कर रहे थे लेकिन परिणाम उसके विपरीत रहे और बोध सिंह एंड कंपनी के दावों की पोल खुल गई।
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महज 47 हजार वोट में सिमट गए थे भगत
पिछली लोकसभा चुनाव में हवा हवाई बातें करने वाले बोध सिंह अपनी जीत का दम भर रहे थे लेकिन उनकी स्थिति बसपा के कंकर मुंजारे से भी दयनीय स्तिति में थे। चुनावी मैदान में जीत की ढींगे हांकने वाले बोध सिंह भगत चौथे स्थान पर रहते हुए महज 47220 वोट लेकर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। बोध सिंह को इस चुनाव में 3.44% वोट मिले, जिस पार्टी (भाजपा) को हराने का दम बोध सिंह भर रहे थे उसे 696102 (50.74%)वोट मिले इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की बोध सिंह की क्षेत्र में कितनी लोकप्रियता है?
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भाजपा के आगे दंडवत भी और शर्त भी
बताया जाता है की आगामी विधान सभा चुनाव में एक बार फिर बोध सिंह को चुनाव लड़ने की सनक सवार है और उसके लिए वह भाजपा के आगे दंडवत हो रहे है लेकिन साथ ही यह शर्त भी रख रहे है की उन्हें कटंगी विधान सभा से टिकिट दी जाये। अब ऐसे में भाजपा के समर्थको में यह चर्चा जोरो पर है की क्या भाजपा पार्टी से गद्दारी करने वाले नेताओं को पुनः मौका दे कर निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अपमानित करेगी? जिस गद्दार ने पार्टी को हारने के लिए वोट कटुआ का काम कर विरोधी पार्टी का सहयोग किया क्या ऐसे नेताओ को भाजपा में सशर्त लेना उचित होगा? इस चर्चा के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं में अभी से बोधसिंह भगत के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे है।
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टैंकर घोटाला से कलंकित हो चुके है बोध सिंह
भाजपा से सांसद रहे बोधसिंह भगत के ऊपर सांसद निधि से प्रदत्त टैंकर खरीदी में कमीशन की मलाई खाने के आरोप लग चुके है जिसकी शिकायत भी हो चुकी है। बता दे की बोधसिंह का टैंकर घोटाला पिछले लोकसभा चुनाव में काफी गरमाया हुआ था जिसके बाद कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना कर चुनाव में भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए खूब घेरा था। सूत्रों की माने तो बोधसिंह भाऊ ने 20% की कमीशन की मलाई खा कर अपने करीबियों को उपकृत किया था।