बीजेपी में दलबदलुओं की मौज, राज्यसभा चुनाव में आखिर क्यों लगा रही ये दांव

Rashtrabaan

नई दिल्ली (New Delhi), राष्ट्रबाण। बीजेपी में इन दिनों दलबदलुओं की चांदी है। कम से कम आने वाले राज्यसभा (Rajya Sabha) चुनावों के उम्मीदवारों को देखकर तो यही लग रहा है। तीन सितंबर को नौ राज्यों की 12 सीटों पर होने वाले राज्यसभा उपचुनावों के लिए बीजेपी (BJP) ने कल अपने नौ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया। इन सभी की जीत पक्की मानी जा रही है, दिलचस्प बात ये है कि इनमें करीब आधे यानी चार उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से बीजेपी में आए हैं। दो उम्मीदवार कांग्रेस, एक बीजेडी और एक पीडब्ल्यूपी पार्टी से बीजेपी में शामिल हुआ। बाकी उम्मीदवारों में बीजेपी ने संघ पृष्ठभूमि से आए नेताओं को वरीयता दी है।

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चौंकाने वाले हैं कुछ नाम

दलबदलुओं में सबसे बड़ा नाम है केंद्रीय मंत्री सरदार रवनीत सिंह बिट्टु (Union Minister Sardar Ravneet Singh Bittu) का, वे पंजाब कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए। लुधियाना से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन करीब बीस हजार मतों से हार गए। इसके बावजूद उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया और अब राजस्थान से राज्यसभा के उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया क्योंकि छह महीने के भीतर संसद सदस्य बनना जरूरी है।

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हरियाणा से किरण चौधरी का नाम

दलबदलुओं में दूसरा बड़ा नाम किरण चौधरी का है। वह हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से थीं। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल (Former Chief Minister Bansilal) की बहू किरण चौधरी (Kiran Choudhary) तोशाम से विधायक भी थीं। वह दो महीने ही बीजेपी में शामिल हुईं और अब बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी उनके जरिए जाट वोटों को संदेश देना चाहती है। संभावना है कि उनकी बेटी श्रुति (Shruti) को बीजेपी हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी लड़ाए।

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तीसरा नाम ओडिशा से ममता मोहंता

दलबदलुओं में तीसरा नाम ओडिशा (Odisha) से ममता मोहंता (Mamta Mohanta) का है। वे कुछ दिनों पहले तक बीजू जनता दल की राज्यसभा सांसद थीं। उन्होंने पार्टी और राज्यसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली। उन्हीं के इस्तीफे से उनकी सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जिसमें अब बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया।

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धैर्यशील पाटिल को चुनने का कारण

दलबदलुओं में चौथा नाम धैर्यशील पाटिल (Dharisheel Patil) का है, जिन्हें बीजेपी ने महाराष्ट्र से राज्यसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। वे पीजंट्स एंड वर्कर्स पार्टी पीडब्ल्यूपी (PWP) के विधायक रह चुके हैं। वे पिछले साल बीजेपी में शामिल हुए। वे 2014 में पेन विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे, लेकिन 2019 में बीजेपी के रवि पाटिल से विधानसभा चुनाव हार गए थे, बीजेपी को उम्मीद है कि उनके आने से कोंकण में मदद मिलेगी।

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आरएसएस बैकग्राउंड वाले नेता

  1. बीजेपी ने असम से मिशन रंजनदास को राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया है। वे चार बार के विधायक हैं और आरएसएस पृष्ठभूमि से हैं। असम की दूसरी सीट पर बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली को उम्मीदवार बनाया है। तेली डिब्रूगढ़ से बीजेपी सांसद थे, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को यहां से लड़ाया गया था। अब तेली को राज्यसभा भेजा गया है।
  2. त्रिपुरा से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्य को राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। वे आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता हैं।
  3. केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन को मध्य प्रदेश से राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया गया है। कुरियन केरल बीजेपी के बड़े नेता हैं और लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। उनके लिए भी छह महीनों के भीतर सांसद बनना जरूरी है।
  4. बीजेपी ने बिहार में अगड़ी जाति के मनन कुमार मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। वे सुप्रीम कोर्ट की बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे हैं। बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के करीबी माने जाते हैं।बीजेपी ने सहयोगी दलों का भी ख्याल रखा है।
  5. बिहार की दूसरी सीट समझौते के तहत आरएलपी के उपेंद्र कुशवाहा को दी है, जो अपना लोकसभा चुनाव हार गए। इसी तरह महाराष्ट्र में दूसरी सीट अजित पवार की एनसीपी को दी गई है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में पवार ने एक लोकसभा सीट छोड़ी थी।

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