नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह फैसला रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा।
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ था। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और अपने करियर की शुरुआत आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में की। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की तमिलनाडु इकाई के कार्यकारिणी सदस्य बने। इसके बाद, वे 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। उन्होंने 2004 से 2007 तक तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
राधाकृष्णन ने प्रशासनिक भूमिकाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और इससे पहले झारखंड, तेलंगाना, और पुडुचेरी (उपराज्यपाल) के रूप में सेवा दे चुके हैं। उनके 40 साल से अधिक के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर काम किया और कई संसदीय समितियों में योगदान दिया।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति पद 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद खाली हुआ था। चुनाव आयोग ने 9 सितंबर को मतदान और मतगणना की तारीख तय की है। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अगस्त है, और उम्मीदवार 25 अगस्त तक नाम वापस ले सकते हैं। इस चुनाव में लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सांसद (233 निर्वाचित और 12 मनोनीत) वोट डालेंगे। कुल 788 मतदाता इस प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।
विपक्ष से समर्थन की उम्मीद
जेपी नड्डा ने कहा कि एनडीए विपक्षी दलों से भी समर्थन माँगेगा ताकि उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो सके। उन्होंने बताया कि एनडीए के सहयोगी दलों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद राधाकृष्णन के नाम पर सहमति बनी। नड्डा ने उम्मीद जताई कि विपक्ष भी इस फैसले का समर्थन करेगा।
तमिलनाडु से मजबूत चेहरा
राधाकृष्णन को तमिलनाडु में भाजपा का मजबूत चेहरा माना जाता है। अगले साल तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनकी उम्मीदवारी को रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है। उनके अनुभव और जमीनी जुड़ाव को एनडीए की ताकत माना जा रहा है।
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