नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद और पतंजलि फूड्स को कड़ी फटकार लगाई है। शुक्रवार, 19 सितंबर 2025 को कोर्ट ने पतंजलि को साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी याचिका वापस ले ले, नहीं तो भारी जुर्माना भरने के लिए तैयार रहे। यह मामला डाबर इंडिया के साथ च्यवनप्राश के विज्ञापनों को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ा है।
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल दिसंबर 2024 में डाबर इंडिया ने पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। डाबर का आरोप था कि पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन भ्रामक और उनकी कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। डाबर ने दावा किया कि पतंजलि के विज्ञापनों में कहा गया कि उनके च्यवनप्राश में पारा होता है, जो बच्चों के लिए हानिकारक है। साथ ही, पतंजलि ने अपने उत्पाद को 51 जड़ी-बूटियों से बना बताया, जबकि डाबर के च्यवनप्राश में 40 जड़ी-बूटियाँ होने का दावा किया गया। डाबर का कहना है कि इन दावों ने उनके दशकों पुराने उपभोक्ता भरोसे को ठेस पहुंचाई है।
कोर्ट ने क्या कहा?
जुलाई 2025 में जस्टिस मिनी पुष्करणा की सिंगल बेंच ने पतंजलि को अपने विज्ञापनों में बदलाव करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पतंजलि को उन हिस्सों को हटाना होगा, जो डाबर या अन्य कंपनियों के उत्पादों को गलत तरीके से बदनाम करते हैं। इस आदेश के खिलाफ पतंजलि ने डबल बेंच में अपील की थी। लेकिन जस्टिस हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने पतंजलि की अपील पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा, “या तो याचिका वापस लो, या जुर्माना भरने को तैयार रहो।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पूरा विज्ञापन हटाने का आदेश नहीं दिया गया, बल्कि सिर्फ आपत्तिजनक हिस्सों को बदलने को कहा गया है।
पतंजलि ने क्या तर्क दिया?
पतंजलि ने कोर्ट में अपने विज्ञापनों का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने डाबर का नाम नहीं लिया और न ही किसी कंपनी की सीधी तुलना की। कंपनी का कहना था कि उनके दावे सार्वजनिक जानकारी और उत्पाद लेबल पर आधारित हैं, इसलिए इन्हें भ्रामक नहीं माना जा सकता। लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया।
अब क्या होगा?
पतंजलि के वकील जयंत मेहता ने कोर्ट से अगली कार्रवाई के लिए समय मांगा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 तक टाल दी है। अगर पतंजलि याचिका वापस नहीं लेती, तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।
यह मामला न केवल दो बड़ी कंपनियों के बीच का विवाद है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के भरोसे और विज्ञापन की नैतिकता से भी जुड़ा है। डाबर और पतंजलि दोनों ही आयुर्वेदिक उत्पादों के बड़े नाम हैं, और इस तरह के विवाद बाजार में उनकी साख को प्रभावित कर सकते हैं।
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