दिल्ली पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए बच्चा तस्करी के एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस ऑपरेशन में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया और 6 मासूम बच्चों को सुरक्षित बचाया है। ये बच्चे एक साल से कम उम्र के हैं। यह गिरोह दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में सक्रिय था और गरीब परिवारों व अस्पतालों को निशाना बनाकर नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त करता था। पुलिस का कहना है कि इस रैकेट का नेटवर्क काफी बड़ा है, और पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
ऑपरेशन का खुलासा
पुलिस को एक गुप्त सूचना के आधार पर इस गिरोह की जानकारी मिली थी। जांच में पता चला कि यह गिरोह संगठित तरीके से काम करता था और गरीब परिवारों या अस्पतालों में नवजात बच्चों के माता-पिता को निशाना बनाता था। गिरोह बच्चे चुराने या खरीदने के बाद उन्हें निःसंतान दंपतियों को 5 से 15 लाख रुपये में बेच देता था। एक छह महीने का बच्चा, जिसका अपहरण हुआ था, पुलिस ने 48 घंटे के भीतर बचा लिया। इस ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और रेलवे यूनिट ने संयुक्त रूप से काम किया।
कैसे काम करता था गिरोह
जांच में सामने आया कि यह गिरोह दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में फैला हुआ था। यह गरीब परिवारों को पैसे का लालच देता था या अस्पतालों से नवजात बच्चों को चुराता था। फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए एक स्वयंभू डॉक्टर और एक वकील का क्लर्क भी शामिल था। पुलिस ने लोनी (गाजियाबाद), पहाड़गंज (दिल्ली), राजस्थान और गुजरात से बच्चों को रेस्क्यू किया। जांच से पता चला कि यह रैकेट 2023 से सक्रिय था और संदेह है कि अब तक 35 से अधिक बच्चों की तस्करी हो चुकी है।
पहले भी सामने आए ऐसे मामले
यह पहली बार नहीं है जब बच्चा तस्करी का मामला सामने आया है। इससे पहले कर्नाटक के उडुपी में पुलिस ने एक नवजात बच्ची की अवैध बिक्री के मामले में एक डॉक्टर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। उस मामले में एक दंपति ने 4.5 लाख रुपये में बच्ची खरीदी थी, जिसका खुलासा तब हुआ जब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को पंजीकरण के दौरान शक हुआ।
दिल्ली पुलिस अब इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए गहन जांच कर रही है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है, और पुलिस को उम्मीद है कि और भी बड़े खुलासे होंगे। इस मामले ने समाज में गरीबी और लाचारी का फायदा उठाने वाले अपराधियों की क्रूरता को उजागर किया है।
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