दिग्विजय सिंह कमलनाथ सरकार के पतन का राज खोला, बताया क्यों बिखरी थी कांग्रेस की सत्ता

Rahul Maurya

    भोपाल, राष्ट्रबाण: मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है, जब पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने 2020 में कमलनाथ सरकार के गिरने की असल वजहों का खुलासा किया। एक खास पॉडकास्ट में उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच हुए तनाव को इसका प्रमुख कारण बताया। दिग्विजय ने कहा कि एक डिनर के दौरान बनी सहमति को कमलनाथ ने नजरअंदाज किया, जिसके चलते सिंधिया ने बगावत कर दी और कांग्रेस सरकार ढह गई। इस खुलासे ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।

    डिनर की वो रात

    दिग्विजय सिंह ने इंडिया टुडे ग्रुप के चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के साथ पॉडकास्ट में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि एक बड़े उद्योगपति के घर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच एक डिनर मीटिंग हुई थी, जिसमें दिग्विजय भी शामिल थे। इस मुलाकात में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से जुड़ी कुछ मांगों पर सहमति बनी थी। दिग्विजय ने बताया कि दोनों नेताओं ने एक लिस्ट तैयार की थी, जिस पर उन्होंने भी हस्ताक्षर किए थे। लेकिन कमलनाथ ने इन मांगों को पूरा नहीं किया, जिसके चलते सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी और कई विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। इस बगावत ने कमलनाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया, और अंततः सरकार गिर गई।

    दिग्विजय पर लगे आरोपों का जवाब

    सियासी हलकों में लंबे समय से यह चर्चा थी कि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मनमुटाव के कारण कमलनाथ सरकार गिरी। लेकिन दिग्विजय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी और सिंधिया के बीच कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं था। उन्होंने पहले ही कमलनाथ को आगाह किया था कि ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है, लेकिन उनकी चेतावनी को अनसुना कर दिया गया। दिग्विजय ने मजाकिया अंदाज में कहा कि शायद उनकी कुंडली में ही है कि उन पर हमेशा गलत इल्जाम लगते हैं। उनके इस बयान ने सियासी माहौल में हल्की हंसी भी बिखेरी, लेकिन सवाल वही रहा कि आखिर सरकार बचाई क्यों नहीं जा सकी।

    2018 की जीत और 2020 का पतन

    2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 साल बाद मध्य प्रदेश में सत्ता हासिल की थी। कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन सरकार बनने के कुछ समय बाद ही अंदरूनी कलह की खबरें सामने आने लगीं। दिग्विजय ने बताया कि यह टकराव विचारधारा का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का था। सिंधिया की बगावत के बाद 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ दी, जिसके चलते कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना ने कांग्रेस को मध्य प्रदेश में बड़ा झटका दिया, और बीजेपी ने दोबारा सत्ता पर कब्जा कर लिया। दिग्विजय के इस खुलासे ने उस दौर की सियासत को फिर से चर्चा में ला दिया है।

    सियासत में नया मोड़

    दिग्विजय सिंह के इस बयान ने मध्य प्रदेश की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। जहां बीजेपी ने इसे कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरी का सबूत बताया, वहीं कांग्रेस नेताओं ने दिग्विजय के बयान को पुरानी बातें उछालने की कोशिश करार दिया। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह खुलासा 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है। दूसरी ओर, दिग्विजय के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने सच को सामने लाकर पार्टी के भीतर सुधार की जरूरत पर जोर दिया है। इस बीच, जनता इस सियासी ड्रामे को करीब से देख रही है, और यह देखना बाकी है कि इसका असर भविष्य की सियासत पर कैसा होगा।

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