नई दिल्ली, राष्ट्रबाण। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को लेह लद्दाख क्षेत्र में अपना पहला तलाशी अभियान शुरू किया। ईडी श्रीनगर मेसर्स ए आर मीर और अन्य द्वारा चलाए जा रहे नकली क्रिप्टोकरेंसी व्यवसाय में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत ऑपरेशन कर रहा है।
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6 परिसरों की तलाशी
जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसी लेह, जम्मू और सोनीपत में मामले से जुड़े 6 परिसरों की तलाशी ले रही है। ‘इमोइलेंट कॉइन’ नाम की क्रिप्टोकरेंसी में हजारों निवेशकों ने अपना पैसा लगाया था। लेकिन, उन्हें न तो रिटर्न मिला और न ही करेंसी। जानकारी के मुताबिक, आरोप है कि 2,508 निवेशकों ने सामूहिक रूप से 7.34 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा की। जम्मू में भूमि संपत्ति खरीदने के लिए व्यवसाय के प्रमोटरों द्वारा इन फंडों का दुरुपयोग किया गया था।
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मामला क्या है?
यह मामला मार्च 2020 में लेह में दर्ज की गई एफआईआर और जम्मू-कश्मीर (जे-के) में मीर और अजय कुमार चौधरी के खिलाफ दर्ज कुछ अन्य शिकायतों से उपजा है। ईडी ने नकली नोटों के कारोबार को बढ़ावा देने वालों को सर्च ऑपरेशन के दायरे में लिया है। अपनी एफआईआर में, लेह पुलिस ने कहा कि मीर और उसके एजेंट के खिलाफ स्थानीय जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गठित एक समिति ने अंजुमन मोइन-उल-कॉम्प्लेक्स में स्थित एक कार्यालय से नकली क्रिप्टोकरेंसी व्यवसाय (इमोलिएंट कॉइन लिमिटेड) की जांच की है।
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कई निर्दोष व्यक्तियों को लिया झांसे में
एफआईआर के अनुसार, समिति ने जांच के दौरान “कई निर्दोष व्यक्तियों को उनके निवेश को दोगुना करने का आश्वासन देकर धोखा देने” के आरोप में कार्यालय को सील कर दिया। ईडी अधिकारियों के अनुसार, आरोपी लद्दाख और अन्य स्थानों के लोगों को नकदी का उपयोग करके या बैंक खातों में धन हस्तांतरित करके “इमोलिएंट कॉइन” खरीदने का लालच देते थे।
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बिटकॉइन के नाम पर भी धोखा
जांच एजेंसी ने कहा कि जमाकर्ताओं को 10 महीने की लॉक-इन अवधि के साथ 40 प्रतिशत तक रिटर्न के बहाने बिटकॉइन के नाम पर भी धोखा दिया गया था। कंपनी की स्थापना सितंबर 2017 में हुई थी और इसका पंजीकृत कार्यालय लंदन में था। जांच एजेंसी के अनुसार, कंपनी को मार्च 2019 में जानबूझकर भंग कर दिया गया था और मीर ने चौधरी के साथ एक रियल एस्टेट व्यवसाय शुरू किया और नकली क्रिप्टोकरेंसी व्यापार से उत्पन्न धन से जम्मू में जमीनें हासिल कीं।