अवैध धंधेबाजों के सरदार बन गए थे एडिशनल एसपी विजय डाबर?, शिकायतें और आरोपों ने किया ASP डाबर को कलंकित

Rashtrabaan
शिकायतें और आरोपों ने किया ASP डाबर को कलंकित

बालाघाट, राष्ट्रबाण। जिले में लंबे अरसे से कानून व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। अवैध कारोबार से लेकर जुआ-सट्टा और शराब की अवैध ब्रिकी जैसे गोरखधंधे बालाघाट जिले की पहचान बने हुए है। जिन पर अंकुश लगाने में बालाघाट पुलिस हमेशा फेल रही है। जिसका मुख्य कारण बालाघाट के एडिशनल एसपी विजय डाबर को माना जाता रहा है ! अनेको बार विजय डाबर पर भ्रष्टाचार क़े आरोप लग चुके है, भ्रष्टाचार मे लिप्त होने क़ी शिकायते होती रही लेकिन कार्यवाही शून्यकाल रही।

एक शिकायत कर्ता द्वारा दी गई शिकायत मे विजय डाबर पर न सिर्फ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया बल्कि अपराधियों को संरक्षण देने क़े गंभीर आरोप भी लगाए गए l एडिशनल एसपी डाबर को बालाघाट में लगभग 10 साल से भी अधिक का समय हो चुका है। सालो से यह इस जिले में पदस्थ थे। इस लंबे समयावधि में उन्होने कई राजनीतिक लोगों से अच्छे खासे संबंध बनाये और उन्हे प्रोटेक्शन भी दिया। इन पर आरोप है कि सत्तापक्ष के नेताओं के ईशारे पर काम करना इनका मूल पेशा बन चुका था। यदि राजनैतिक संगठन से जुडे किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ कोई शिकायत आयें तो एडिशनल एसपी विजय डाबर हमेशा उसे ना सिर्फ दबाने का काम करते थे, अपितु शिकायत करने वाले को ही आरोपी बनाकर उसके खिलाफ अपराध दर्ज करवा दिया करते थे। ऐसे कई किस्से है जो बालाघाट जिले क़ी जनता दबी जुबान मे कह चुकी है । महिनो पुर्व एक मामला प्रकाश में आया था। जहां ग्राम भौरगढ़ निवासी जितेंद्र उर्फ राजा लिल्हारे नामक व्यक्ति के खिलाफ ही झूठा प्रकरण दर्ज करवा दिया गया था। जबकि उसके द्वारा निरंतर जल जंगल जमीन को बचाने हेतू क्रांतिकारी लड़ाई लडी जा रही है। परंतु एएसपी विजय डाबर के द्वारा हमेशा अपराधी प्रवृति के नामी गिरामी लोगो को संरक्षण देकर फरियादी को ही डराने धमकाने का कार्य किया जाता था।

जिले में सदैव यह चर्चा रही है कि पूरे बालाघाट जिले में जब भी अवैध कामो के खिलाफ जनता आवाज उठाती थी, तब तब अपराधियों का बचाव करने विजय डाबर हस्तक्षेप करने लगते थे। जन चर्चा यह भी है क़ी जुआ सट्टा खिलाने वालो के ये मसिहा बन चुके है। कार्यवाही के पूर्व उन्हे खबर पहुचा देना और फिर उनके साथ समझौता करना विजय डाबर का पुराना पेशा माना जाता है। तभी तो यह चर्चा जिले में हमेशा गुंजते रही है कि इन्होने बालाघाट में पदस्थ रहकर पिछले 10 सालो में अपार संपत्ति संग्रहित कर ली है। कान्हा नेशनल पार्क जैसे क्षेत्र में इनकी प्रापर्टी व रिसोर्ट होना बताया जा रहा है। जिले के सबसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारी इन्हे ही माना जाता है। पूर्व सांसद कंकर मुंजारे कई बार अपनी प्रेसवार्ता में मीडिया के सामने विजय डाबर के भ्रष्ट कारनामो और अपरधियों से संबंध होने का आरोप लगा चुके है। उन्होने सरकार से इनकी संपत्ति की जांच की मांग भी की है।

एडिशनल एसपी विजय डाबर का कार्यकाल जिले के लिये बेहद ही शर्मनाक रहा है। इनके ईशारे पर कई पुलिस आरक्षक थाना क्षेत्र की जनता के लिये नासूर बन चुके है। जिसका ताजा उदाहरण बीते दिनो ही देखने मिला था कि मलाजखंड थाना में पदस्थ दो आरक्षक अवैध वसुली की शिकायत के कारण निंलबित किये गये है। जबकि आरोप है की दोष उनका नही,बल्कि पर्दे के पीछे बैठे एएसपी विजय डाबर का है। ये वसुली करने वाले पुलिस आरक्षको के मुख्य सरगना माने जाते रहें है। इन्ही के कारण पूर्व में कई पुलिसकर्मी कार्यवाही के नाम पर नपे जा चुके है। कमीशन के फेर में जुआ सट्टा का करोबार जिले में इनके ईशारे पर जगह जगह पांव पसार चुका है। अवैध शराब ब्रिकी का कारोबार भी इन्ही के ईशारो पर फल फूल रहा है। हालत यह है कि गांव गांव पैकर तैयार हो चुके है। 8 सालो से एक ही जिले में जमे रहने का मुख्य उद्देश्य यही माना जा रहा था कि ये मप्र व छ.ग के सीमावर्ती इस जिले से जितना माल बटोर सकते है, इन्होने बटोरा है। इनका नाम लेकर जिले की जनता यह तक कह चुकी है कि विजय डाबर अपराधियो के सरदार बन चुके है। अवैध करोबार में लिप्त अपराधियों के खिलाफ कोई कार्यवाही ना होना, बहुत कुछ दर्शाता है। कार्यवाही का बिगुल बजने से पूर्व ही सूचना देकर अवैध कारोबारियों को अलर्ट कर देना एएसपी विजय डाबर का ही रचा हुआ खेल माना जाता है। जिस पर अब इनके तबादले के बाद अंकुश लगने की आशा जनता में जागी है।

error: Content is protected !!