Jabalpur/Balaghat News : ट्रांसफर के बाद भी श्वेता मेहतो का नही हो रहा जबलपुर से मोह भंग

Rashtrabaan
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Highlights
  • भ्रष्टाचार के आरोपों से लबरेज श्वेता पर कब होगी कार्यवाही ?
  • बालाघाट में आजीविका मिशन के काम हो रहे प्रभावित

जबलपुर/बालाघाट, राष्ट्रबाण। इन दिनो मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की जबलपुर जिला प्रबंधक श्वेता मेहतो की स्थानांतरण को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं कि इतने सालों से यह अधिकारी जबलपुर जिले में कैसे अंगद के पैर की तरह जमी हुई थी? अनेको शिकायतो के बाद श्वेता मेहतो का पिछले दो माह पूर्व बालाघाट स्थानांतरण हुआ। पिछले 06 सालो से मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में जबलपुर जिला परियोजना प्रबन्धक के पद पर पदस्थ थी और कई बार अपने ट्रांसफर रूकवा चुकी थी। इससे स्पष्ट होता है कि श्वेता मेहतो जबलपुर छोडकर कही जाना ही नही चाहती थी।
जबलपुर में पदस्थ रहते कई भ्रष्टाचार के आरोप श्वेता मेहतो पर लग चुके है कि इनके द्वारा ऐसी कई वित्तीय अनियमितताए की गई हैं, जिस पर अब तक जांच नही हो पायी है। जानकारी के अनुसार जबलपुर के कार्यालय में एक चौपहिया वाहन लगवाया गया था वह भी बिना किसी उच्य अधिकारी के संज्ञान में लाये बगैर किराये पर चल रहे थे। जिसका प्रतिमाह निर्धारित राशि से ज्यादा बिलिंग की जा रही थी। सुत्र बताते है कि मैडम पर एक जिला पंचायत अधिकारी की विशेष कृपा बनी हुई है।

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बता दे कि नियमानुसार किसी भी शासकीय अधिकारी के लिए एक स्थान पर 03 वर्ष से अधिक का समय व्यतित करना नियम विरूद्ध होता है। लेकिन मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक श्वेता मेहतो पिछले 06 वर्षो से जबलपुर जिला में जमी हुई थी। जिसके बाद पिछले 02 माह पूर्व हाल ही में हुए बालाघाट ट्रांसफर के बाद एक बार फिर उन्होंने ट्रांसफर रुकवाने के लिये जोर लगाना शुरू कर दिया है। सुत्रो के अनुसार विभिन्न अनियंतिताओं को लेकर की गई शिकायतों पर जांच चालू है। विभागीय सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार ट्रांसफर रुकवाने के लिए श्वेता मेहतो द्वारा फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया गया था, परंतु ट्रांसफर रूक ना सका तो मैडम जी ने कोर्ट की शरण ले ली। फिर भी न्यायालय द्वारा विभाग को आदेश दिये गये कि 10 दिन के भीतर स्थानांतरण को लेकर अपना अभिमत स्पष्ट करें। मगर न्यायालय के आदेश को जारी हुए लगभग दो माह होने जा रहे है। उसके बावजूद भी विभाग के द्वारा श्वेता मेहतो को बालाघाट पदभार ग्रहण नही कराया जा सका है। मजे की बात यह है की जबलपुर में श्वेता के स्थान पर स्थान्तरित होकर आये अधिकारी ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है।

श्वेता मेहतो के द्वारा सीधे तौर पर आदेशो की धज्जीयां उडाई जा रही है, उसके बावजूद भी विभाग और बालाघाट कलेक्टर मौन साधे क्यों बैठे है? आखिर क्या वजह है कि श्वेता मेहतो पर इतनी मेहरबानी भोपाल के उच्च अधिकारीयों के द्वारा दिखाई जा रही है। इसे विभाग की सुस्ती कहे या फिर मैडम की अच्छी पकड? विभागीय सुत्रो की माने तो श्वेता मेहतो भ्रष्टाचार की गाढी कमाई का हिस्सा भोपाल के उच्च अधिकारीयों तक पहुंचाती है। जिसका उदाहरण यह है कि कई बार तबादले हुए लेकिन अचानक आदेशों को बदल दिया गया और भ्रष्टाचार की कई शिकायतो के बाद भी अब तक श्वेता मेहतो के खिलाफ जांच या कार्यवाही नही हुई, जो कई सवालिये निशान खडे करता है।

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शिकायतें हुई कार्रवाई नहीं !

श्वेता मेहतो पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लग चुके है। शिकायते हुई लेकिन कार्रवाई ढांक के तीन पात साबित हुई है। श्वेता के खिलाफ हुई शिकायते सरकारी दफ्तरों में धूल खा रही है लेकिन जिला प्रशासन और राज्य सरकार इन पर कार्यवाही करने का साहस नहीं दिखा पा रहा है। सूत्रों की माने तो श्वेता मेहतो की भोपाल स्तर पर बड़ी मजबूत पकड़ है जिसके चलते श्वेता मेहतो आज तक कार्यवाही से बचती आ रही है। यही नहीं माना तो यह भी जाता है की श्वेता मेहतो द्वारा भ्रष्टाचार की मलाई अपने उच्च अधिकारियो को चटाई जाती है जिसके चलते इन्हे विभागीय अधिकारियो का संरक्षण प्राप्त है।

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