Jabalpur News : जेल में पैसे का खेल, बंदियों को पैसा लेकर दी जा रही VIP सुविधा

Rashtrabaan
Highlights
  • डिप्टी जेलर की भ्रष्ट कार्यप्रणाली से बिगड़ा जेल का माहौल
  • 15 हजार दो VIP सुविधा लो, पर चल रहा जबलपुर जेल

जबलपुर, राष्ट्रबाण। कहते है पैसा भगवान नही लेकिन यह भी सच है की कलयुग में पैसा भगवान से कम भी नहीं। जी हां यह वाकया इन दिनों जबलपुर जेल में बहुत सटीक बैठता है। यहां पैसा के आगे अधिकारी नतमस्क है और गंभीर अपराधो पर जेल आए अपराधियों के लिए यह जेल आराम गाह बन गई हैं।
सूत्र बताते है कि जबलपुर जेल में डिप्टी जेलर अंजू मिश्रा का आतंक है। यह गरीब और बिना पहुंच वाले विचाराधीन और सजा याफ्ता बंदी के लिए यह जेल किसी नर्क से कम नहीं है लेकिन आपके पास पैसा, रसूख और पावर है तो यह जेल आपकी मौज का सबसे बड़ा साधन है।

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सूत्रानुसार जेल में को भी नई आमद (हवलती/बंदी) आती है उसे सबसे पहले गुनाह खाना में रखा जाता हैं। यह अवधि 4 से 5 दिनों की होती है। लेकिन डिप्टी जेलर को चढ़ौत्री चढ़ाने के बाद अपराधियों को यहां गुनाहखाना में रुकने की जरूरत नहीं होती।
जेल सूत्र बताते है की जेल में तीन लोगो को (यश तिवारी, अभिषेक गोस्वामी, सिब्बू/अनीस) पैसे लेकर महज एक घंटे ही गुनाहखान में रखा गया जबकि वही पाटन से आए बंदी राजा और दिलीप को एक मिनट भी गुनाहखाना में नहीं रखा गया। डिप्टी जेलर अंजू मिश्रा के खाऊ मीत कार्यप्रणाली का यह जीवित उदाहरण है जिससे जेल प्रशासन की छवि कलंकित हो रही है।

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डिप्टी जेलर के नंबरदारो का आतंक

जेल में सजा याफ्ता बंदी ही जेल के अधिक काम करते है। यही वजह होती है की ये बंदी अफसरों के करीबी और चहीते बन जाते है। इन्हे जेल में नंबरदार के नाम से बुलाया जाता है। सूत्रों की माने तो डिप्टी जेलर के इन नंबरदारों का जेल में आतंक है। ये जेल में आई नई आमद से पैसे वसूल कर देते है। जिनसे पैसे की सेटिंग नही होती उनके साथ मारपीट कर प्रताड़ित करते है। जाहिद/खलील और मोहन/तारपथ ये दोनो नंबरदार मैडम के चहीते बताए जाते है जो इन दिनों जेल में अपने आतंक का खौफ फैलाए हुए हैं।

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जेल में कुख्यात अपराधियों को मिल रही VIP सुविधा

जबलपुर जेल कुख्यात बदमाश और अपराधियों से भरी पड़ी है। ये बदमाश पैसे के दम पर जेल को अपनी आरामगाह बना रखा है। जेल के विश्वस्त सूत्र बताते है की गंभीर अपराधो में जेल की हवा खाने वाले रज्जाक भी जेल में वीआईपी सुविधा का आनंद उठा रहे है। ये वह पूरे शौक कर रहे है जो एक आम आदमी खुले समाज में भी नही कर सकता यही नहीं बंदियों को बिना वजह हॉस्पिटल में भर्ती कर उनसे पैसे वसूले जा रहे है। सूत्र तो यह भी बताते है की जेल डीआईजी के निरीक्षण के एक दिन पहले कुख्यात अपराधी प्यारे मिया को हॉस्पिटल से निकाला गया और डीआईजी के जाने के बाद पुनः उसे हॉस्पिटल में सिफ्ट कर दिया गया हैं।

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मोबइल सुविधा भी उपलब्ध!

जेल में मोबाईल और अन्य कई ऐसे उपकरण वर्जित है जिन्हे जेल में हवालाती और बंदियों को नहीं दिए जाते। फिल्मो में आपने देखा होगा गैंगस्टर और बदमाश जेल में रहकर फोन से ही अपनी गैंग को चलाते है। कुछ ऐसा ही जबलपुर जेल में होने की खबर सामने आ रही है। बताया जाता है की कुछ कुख्यातों नमी अपरधियों के पास जेल के अंदर मोबाईल फोन है जिसका वह उपयोग कर अपने परिजन और गैंग के गुर्गो से बातचीत करने में करते है। यह जेल में बैठ कर अपनी गैंग को ऑपरेट कर रहे है।

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