Kishtwar Tragedy: 6 दिन से गूंज रहा था रेड अलर्ट… बारिश-भूस्खलन चेतावनी को अनदेखा करने की भारी कीमत

Rahul Maurya
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Kishtwar Tragedy: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में मचैल माता मंदिर मार्ग पर गुरुवार दोपहर बादल फटने से चशोती गांव में भारी तबाही मची। इस हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 98 लोग घायल हुए, जिनमें 28 की हालत गंभीर है। मौसम विभाग ने भारी बारिश और भूस्खलन की चेतावनी पहले ही जारी की थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण नुकसान बढ़ गया। हादसे ने मचैल माता की वार्षिक यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया, जिसे अब अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।

बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने लंगर, दुकानें, एक अस्थायी मंदिर, और एक सुरक्षा चौकी को बहा दिया। सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), और स्थानीय पुलिस ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शोक जताते हुए प्रभावितों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

चेतावनी के बावजूद क्यों नहीं बरती सावधानी?
मौसम विभाग ने 13 अगस्त को किश्तवाड़ सहित जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन की चेतावनी जारी की थी। इसके बावजूद, चशोती में कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए। स्थानीय निवासियों और विपक्षी नेता सुनील कुमार शर्मा ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। शर्मा ने कहा कि चेतावनी के बाद भी यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर नहीं ले जाया गया, जिससे हादसे का प्रभाव बढ़ा।

कुछ सूत्रों ने दावा किया कि कम से कम 46 लोग मारे गए और 200 से अधिक लापता हैं, लेकिन आधिकारिक पुष्टि 20 मौतों और 98 घायलों की है। चशोती, जो मचैल माता मंदिर के लिए आखिरी मोटरेबल पॉइंट है, उस समय सैकड़ों श्रद्धालुओं से भरा था। यह हादसा दोपहर 12:30 बजे हुआ, जब बाढ़ ने पूरे गांव को तबाह कर दिया।

बचाव कार्य और प्रशासन का रुख
हादसे की सूचना मिलते ही NDRF की दो टीमें उधमपुर से किश्तवाड़ पहुंचीं। सेना के हेलीकॉप्टरों ने घायलों को निकालने और राहत सामग्री पहुंचाने में मदद की। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नरेश सिंह ने मौके पर पहुंचकर बचाव कार्यों की निगरानी की। प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर (9858223125, 6006701934, 01995-259555) जारी किए और एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रभावित परिवारों को सहायता का भरोसा दिया। बचाव कार्यों में मौसम की खराबी और भूस्खलन से चुनौतियां बढ़ रही हैं, फिर भी टीमें दिन-रात जुटी हैं।

मचैल माता यात्रा और भविष्य की चुनौतियां
मचैल माता मंदिर, जो 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, हर साल अगस्त में हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। चशोती गांव इस यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन इस हादसे ने इसे तबाही का मंजर बना दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि भविष्य में यात्रा मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाई जाए। यह हादसा न केवल तीर्थयात्रियों, बल्कि किश्तवाड़ की स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा झटका है। प्रशासन ने यात्रा को स्थगित कर दिया है, और प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण की लंबी प्रक्रिया शुरू होगी।

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