बालाघाट/सिवनी, राष्ट्रबाण। सिवनी कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सरसवार (Congress Candidate Samrat Saraswar) ने भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जम कर हमला बोलै था लेकिन बालाघाट जिले में व्यवसायी बनाम राजनेता पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे है साथ ही महानुभाव बड़े उद्योग स्थापित करने की ढींगे भी हांक रहे है।
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बता दें कि लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के प्रचार प्रसार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सरसवार के द्वारा संसदीय क्षेत्र की जनता को बडे उद्योग खोले जाने का खूब लॉलीपाप दिया जा रहा है। रोजाना वे जिस क्षेत्र में भी चुनावी सभा कर रहे है, वहां बडे उद्योग खोलने का जनता से वादा कर रहे है और उन्हे अपनी गांरटी का आश्वासन दे रहे है। जबकि उनके उपर विभिन्न शासकीय कार्यो की ठेकेदारी के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है। ऐसे में समझा जा सकता है कि क्या एक भ्रष्ट प्रवृति का जनप्रतिनिधि क्षेत्र में विकास की गंगा बहा पायेगा और उद्योग स्थापित करवा पायेगा?
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पंचायत चुनाव को सम्पन्न हुए लगभग दो साल बितते आ रहे है। सम्राट सरसवार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद जिला पंचायत के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए है। लेकिन उन्होने अपने डेढ-दो साल के कार्यकाल में अब तक जिले में या क्षेत्र के विकास के लिये कोई बडा कार्य करके नही दिखाया है। मीडिया सुत्रो तक यह शिकायत प्राप्त हुई है कि जिला पंचायत के अधिकारी कर्मचारी तक नही एक नही सुनते। इन्हे शासकारी नौकरशाहो ने खुद अपनी कठपुतली बना रखा है। जिला पंचायत में यदि इनकी पूछ परख हो रही थी तो सिर्फ जिला पंचायत उपाध्यक्ष राजा लिल्हारे के सहारे। लेकिन उन्होने भी भाजपा ज्वाईन करके सम्राट सरसवार को बेसहारा कर दिया है।
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आज सम्राट सरसवार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव के मैदान में है। जिनकी भाजपा प्रत्याशी के सामने शाख फिकी पडती नजर आ रही है। हालांकि लोगो में भाजपा सरकार की नीतियों व वादाखिलाफी के खिलाफ आक्रोश है लेकिन जनता सम्राट सरसवार को भी उतनी तव्वजो देने के ईरादे में नही है। मतदान की तारीख दिन-ब-दिन नजदीक आ रही है और लेकिन जनता ने भाजपा प्रत्याशी और कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर कोई दृढनिश्चय नही किया है कि किसे वोट करना है। हो सकता है संसदीय क्षेत्र की जनता का इरादा भाजपा की ओर झुक जायें। लेकिन सम्राट सरसवार को उतना मजबूत प्रत्याशी नही मान रही है। आलम यह है कि विरोधी दल के नेता और इनते प्रतिद्वंद्वी इन्हे नशाखोर की संज्ञा देकर इनकी शाख पर किचड उछालने से भी नही झूक रहे है।