तिहाड़ जेल में जम्मू कश्मीर के सांसद इंजीनियर रशीद को किन्नरों ने पीटा

Rahul Maurya

जम्मू-कश्मीर के बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपने ऊपर हमले का सनसनीखेज आरोप लगाया है। टेरर फंडिंग मामले में 2019 से जेल में बंद रशीद का दावा है कि जेल में किन्नर कैदियों ने उन पर जानलेवा हमला किया। उनकी पार्टी, आवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP), ने इस घटना को लेकर गहरा रोष जताया है और स्वतंत्र जांच की मांग की है। हालांकि, जेल सूत्रों का कहना है कि यह मामूली विवाद था और रशीद को कोई गंभीर चोट नहीं आई।

हमले का क्या है मामला?

इंजीनियर रशीद ने अपने वकील जावेद हूब्बी से मुलाकात के दौरान बताया कि तिहाड़ जेल के नंबर 3 बैरक में उनके साथ तीन किन्नर कैदियों को रखा गया है। रशीद का आरोप है कि इन कैदियों को जानबूझकर उकसाया गया ताकि वे कश्मीरी कैदियों, खासकर उनके, पर हमला करें। उन्होंने दावा किया कि एक सप्ताह पहले किन्नर कैदियों ने उन पर धक्का-मुक्की की और एक भारी गेट उनके ऊपर फेंका। रशीद के मुताबिक, यह गेट अगर सीधे लगता तो उनकी जान भी जा सकती थी।

रशीद ने यह भी आरोप लगाया कि जेल में कश्मीरी कैदियों, जैसे अयूब पठान, बिलाल मीर और अमीर गोजरी, को भी इसी तरह की प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। खासकर नमाज के दौरान उन्हें परेशान करने की कोशिशें की जाती हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि इन किन्नर कैदियों को एचआईवी पॉजिटिव बताया गया है और उन्हें जानबूझकर कश्मीरी कैदियों के साथ रखा गया है ताकि माहौल तनावपूर्ण हो।

पार्टी ने की जांच की मांग

आवामी इत्तेहाद पार्टी ने इस घटना को गंभीर बताते हुए जेल प्रशासन पर कश्मीरी कैदियों को टारगेट करने का आरोप लगाया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि यह हमला सुनियोजित था और इसका मकसद रशीद को नुकसान पहुंचाना था। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और जेल में कश्मीरी कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

जेल प्रशासन का जवाब

तिहाड़ जेल के सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रशीद का किन्नर कैदियों के साथ सिर्फ एक मामूली विवाद हुआ था, जिसमें उन्हें हल्की चोटें आईं। जेल प्रशासन ने हत्या की साजिश जैसे दावों को बेबुनियाद बताया और कहा कि जेल नंबर 3 में सिर्फ तीन किन्नर कैदी हैं।

रशीद का पॉलिटिकल बैकग्राउंड

इंजीनियर रशीद, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला से 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे, ने उमर अब्दुल्ला और सज्जाद गनी लोन को हराया था। वे टेरर फंडिंग केस में 2019 से तिहाड़ जेल में हैं। हाल ही में उन्हें संसद के मॉनसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पैरोल मिला था।

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