किश्तवाड़ में कुदरत का कहर, 70 लाशें मिलीं, 200 से ज्यादा लोग मलबे में फंसे होने की खबर

Rahul Maurya

Kishtwar Cloudburst News: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में 14 अगस्त को बादल फटने से मची तबाही ने पूरे इलाके को मातम में डुबो दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने घर, दुकानें, और सड़कें बहा दीं, जिससे भारी जान-माल का नुकसान हुआ। प्रशासन के मुताबिक, अब तक 60 से अधिक शव मलबे से निकाले जा चुके हैं, जबकि 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF, BRO, CISF, और NDRF की टीमें राहत और बचाव कार्य में दिन-रात जुटी हैं।

मचैल माता यात्रा के दौरान हादसा

चिशोती गांव मचैल माता यात्रा का प्रमुख पड़ाव है, जहाँ हजारों श्रद्धालु हर साल 9,705 फीट की ऊँचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। हादसा उस समय हुआ, जब गांव में यात्रा के लिए लंगर और तंबू लगे थे। अचानक आए सैलाब ने लंगर, दुकानें, और वाहनों को बहा दिया। कुछ लोग मलबे में दब गए, जबकि कई अन्य लापता हो गए। स्थानीय विधायक सुनील शर्मा ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है, और 88 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन में चुनौतियाँ

राहत कार्यों में भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF, BRO, CISF, और NDRF की टीमें लगी हुई हैं। CISF के डीआईजी एमके यादव ने कहा, “मौसम अब बेहतर है, जिससे JCB मशीनों का उपयोग बढ़ाया गया है। हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि फंसे लोगों को जल्द से जल्द निकाला जाए।” हालांकि, दुर्गम इलाका और सड़कों का बह जाना रेस्क्यू ऑपरेशन को मुश्किल बना रहा है। अब तक 167 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन खराब मौसम और मलबे ने बचाव कार्य को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

केंद्र और राज्य सरकार का सहयोग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख जताया और हर संभव मदद का भरोसा दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात कर स्थिति की जानकारी ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी राहत कार्यों की निगरानी की और NDRF को तुरंत मौके पर भेजा। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि प्रशासन घायलों को चिकित्सा सुविधाएँ और प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री मुहैया करा रहा है। हेल्पलाइन नंबर और कंट्रोल रूम भी सक्रिय किए गए हैं।

मचैल माता यात्रा पर रोक

इस आपदा ने मचैल माता यात्रा को पूरी तरह रोक दिया है। इस साल यात्रा में 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद थी, लेकिन अब प्रशासन ने यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा है। स्थानीय लोग और तीर्थयात्री अपने प्रियजनों की तलाश में परेशान हैं। एक बचे हुए व्यक्ति ने कहा, “मैंने अपनी आँखों के सामने सब कुछ बहते देखा। भारतीय सेना और पुलिस ने मुझे बचाया, लेकिन मेरे कई रिश्तेदार अभी लापता हैं।”

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