भोपाल, राष्ट्रबाण। मध्य प्रदेश के एक पुलिसकर्मी प्रमोद पावन की आत्महत्या ने प्रदेश की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले पर मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए इसे “माफिया संरक्षण, जातिगत अपमान और प्रशासनिक विफलता” का नतीजा बताया है।
आत्महत्या से पहले प्रमोद पावन ने क्या कहा?
पुलिसकर्मी प्रमोद पावन ने आत्महत्या से पहले अपने बयान में कहा कि मेरे ही टीआई मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं। रेत माफिया मुझे कुचलने की धमकी दे रहा है। जीतू इन शब्दों ने न सिर्फ पूरे पुलिस महकमे में हलचल मचा दी, बल्कि यह भी उजागर किया कि राज्य में माफियाओं का दबदबा कितना गहरा है और जातिगत उत्पीड़न किस हद तक सरकारी सिस्टम में मौजूद है।
6 महीने में 10 पुलिसकर्मियों की आत्महत्या!
कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने बताया कि बीते छह महीनों में 10 पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पुलिस बल के भीतर गंभीर मानसिक तनाव, काम का अत्यधिक दबाव, राजनीतिक हस्तक्षेप और जातिगत भेदभाव एक खतरनाक स्थिति पैदा कर चुका हैं।
भाजपा पर सीधा हमला
पटवारी ने कहा जब राज्य में पुलिसकर्मी खुद असहाय हो जाएं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी रह जाती है? प्रमोद पावन की आत्महत्या एक व्यक्ति की नहीं, पूरी व्यवस्था की विफलता है। यह केवल आत्महत्या नहीं, एक संस्थागत हत्या है, जिसमें सरकार की चुप्पी भी अपराध है।”
कांग्रेस की प्रमुख मांगें
इस मामले कांग्रेस ने उच्च स्तरीय न्यायिक जांच मांग की है। साथ ही आरोपी टीआई व माफिया सहयोगियों को तत्काल निलंबित व गिरफ्तार करने की बात की।
साथ ही कांग्रेस ने मांग की है कि पीड़ित परिवार को ₹1 करोड़ मुआवजा और एक परिजन को सरकारी नौकरी दी जाए।जातिगत उत्पीड़न के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए। कांग्रेस ने कहा पुलिस विभाग में बढ़ते मानसिक तनाव और माफिया दबाव की स्वतंत्र जांच कराई जाए।
कांग्रेस की चेतावनी
कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने तत्काल प्रभाव से कदम नहीं उठाए, तो पार्टी प्रदेशव्यापी जन आंदोलन शुरू करेगी। जीतू पटवारी ने कहा कि “यह सिर्फ प्रमोद पावन की नहीं, हर उस व्यक्ति की लड़ाई है जो संविधान, न्याय और आत्मसम्मान में विश्वास रखता है।”
कांग्रेस का मुख्यमंत्री से सवाल
प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सवाल करते हुए कांग्रेस ने प्रदेश के सूबेदार से सवाल किया है। कांग्रेस ने कहा चूंकि मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद गृह मंत्री भी हैं, “क्या उनका काम सिर्फ बयानबाजी तक सीमित है? प्रमोद पावन की आत्महत्या पर क्या उन्हें जवाब नहीं देना चाहिए? क्या मुख्यमंत्री की इस पर कोई जवाबदेही नहीं? प्रमोद पावन की आत्महत्या ने प्रशासन, पुलिस सिस्टम और माफिया-राज पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि क्या राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर ठोस कार्रवाई करती है या फिर यह भी एक और ‘फाइल बंद’ मामला बनकर रह जाएगा।
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