Shibu Soren Death News: झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का निधन, शोक में डूबा राज्य

Rahul Maurya

    झारखण्ड, राष्ट्रबाण। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में एक महीने से अधिक समय से किडनी की बीमारी के कारण भर्ती थे। सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया। उनके बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए। आज मैं शून्य हो गया हूँ।” झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है।

    किडनी की बीमारी और वेंटिलेटर पर अंतिम दिन

    शिबू सोरेन को जून 2025 के आखिरी सप्ताह में किडनी से संबंधित बीमारी के कारण दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में भर्ती किया गया था। अस्पताल के बुलेटिन के अनुसार, डेढ़ महीने पहले स्ट्रोक के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई थी, और वह पिछले एक महीने से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। डॉ. ए.के. भल्ला, नेफ्रोलॉजी के चेयरमैन, और न्यूरोलॉजी व ICU की टीम उनकी देखभाल कर रही थी। हेमंत सोरेन उस समय अस्पताल में मौजूद थे, जब उनके पिता ने अंतिम सांस ली।

    अलग झारखंड आंदोलन के नायक

    11 जनवरी 1944 को अविभाजित बिहार के नेमरा गाँव (वर्तमान रामगढ़, झारखंड) में जन्मे शिबू सोरेन, जिन्हें ‘दिशोम गुरु’ या ‘गुरुजी’ कहा जाता था, ने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1972 में JMM की स्थापना की और अलग झारखंड राज्य के आंदोलन का नेतृत्व किया। साहूकारों के शोषण के खिलाफ उनकी आवाज ने आदिवासी समुदाय में नई चेतना जगाई। वह 2005, 2008-09, और 2009-10 में झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और दुमका से 1980 से 2019 तक सांसद चुने गए।

    JMM और आदिवासी चेतना का नेतृत्व

    शिबू सोरेन ने JMM को 38 वर्षों तक नेतृत्व प्रदान किया और इसे आदिवासी हितों का प्रतीक बनाया। 1972 में धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में आयोजित रैली में JMM की नींव रखी गई थी। उनकी अगुआई में पार्टी ने सामाजिक और राजनीतिक चेतना का अभियान चलाया, जिसने झारखंड को अलग राज्य की पहचान दिलाई। अप्रैल 2025 में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने JMM अध्यक्ष पद हेमंत सोरेन को सौंपा। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें झारखंड आंदोलन का नायक बता रहे हैं।

    शोक और श्रद्धांजलि

    शिबू सोरेन के निधन से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया। राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनकी पत्नी रूपी किस्कू, बेटों हेमंत, बसंत, और बेटी अंजलि सोरेन उनके परिवार में हैं। हेमंत ने कहा कि उनके पिता का योगदान आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी। अस्पताल ने बताया कि अंतिम संस्कार की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।

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