सारनी, राष्ट्रबाण। एक समय में कोयला उत्पादन और श्रमिक आंदोलन के लिए पहचान रखने वाला सारनी शहर अब बेरोजगारी और अवैध धंधों का पर्याय बनता जा रहा है। यहां गली-गली में फैलता सट्टेबाजी का नेटवर्क प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण के सहारे लगातार फैल रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्थानीय स्तर पर गुल्लू और पुरण नामक युवक सट्टा कारोबार का संचालन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इनके संरक्षक खुद राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, जिनके इशारे पर यह पूरा खेल संचालित हो रहा है।
बताया जा रहा है कि एक विधायक प्रतिनिधि को हर महीने तीस हजार रुपये की “सेवा राशि” दी जाती है, जिससे इस अवैध कारोबार को हरी झंडी मिलती है। इसी वजह से स्थानीय पुलिस को या तो इसकी जानकारी नहीं है, या वह जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है।
पुलिस थानों और चौकियों के आसपास ही इन सटोरियों का “गणित” इतना मजबूत होता है कि वे खुलेआम अपनी “कोचिंग” चलाते हैं, और कोई रोकने वाला नहीं होता। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि इन माफियाओं द्वारा नेताओं को नियमित हिस्सा दिया जाता है, जिससे उन्हें राजनीतिक सुरक्षा प्राप्त होती है।
गुल्लू पाथाखेड़ा से शोभापुर की गलियों में सक्रिय है, जबकि पुरण बगडोना क्षेत्र में अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा है। शहर की स्थिति यह हो गई है कि यहां जुआ, सट्टा और शराब ही कुछ लोगों के लिए कमाई का मुख्य साधन बन चुके हैं।
जब तक यह काला धन स्थानीय राजनीति को पोषण देता रहेगा, तब तक सारनी की सड़कों पर ये सट्टा के सौदागर खुलेआम अपना खेल खेलते रहेंगे। और अफसोसजनक रूप से, इनका विरोध करने वाला कोई नहीं है।
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