भिंड, राष्ट्रबान: मध्य प्रदेश के भिंड जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाला गौरी सरोवर इन दिनों ‘मौत का तालाब’ बन गया है। शहर के बीचों-बीच फैले इस सरोवर में हजारों मछलियाँ मर रही हैं, और पानी की सतह पर उनकी लाशें तैर रही हैं। आसपास के इलाके में असहनीय बदबू फैल गई है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। ये हालात सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता सबूत हैं।
प्रदूषण बना मछलियों का काल
गौरी सरोवर का पानी इतना गंदा हो चुका है कि उसमें ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बारिश का मौसम मछलियों का प्रजनन काल होता है, लेकिन प्रदूषित पानी और ऑक्सीजन की कमी ने हजारों मछलियों की जान ले ली। नगर पालिका के कर्मचारी दिन-रात मरी मछलियों को निकाल रहे हैं, लेकिन ये समस्या का हल नहीं है। नालों का गंदा पानी और कचरा सीधे सरोवर में डाला जा रहा है, जो इसे जहरीला बना रहा है।
करोड़ों खर्च, फिर भी बदहाली
गौरी सरोवर के सौंदर्यीकरण के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन हालात बद से बदतर हो रहे हैं। सरोवर के चारों ओर न तो फेंसिंग है, न ही जाली लगाई गई है, जिसके चलते गंदगी रुकने का नाम नहीं ले रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि सौंदर्यीकरण के नाम पर सिर्फ दिखावा हुआ, और असल समस्या—प्रदूषण—को नजरअंदाज कर दिया गया। पहले भी इस सरोवर में कई हादसे हो चुके हैं, फिर भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
स्थानीय लोग परेशान, मंदिरों पर असर
गौरी सरोवर के आसपास घनी आबादी है, और ये इलाका मंदिरों और धार्मिक आयोजनों के लिए मशहूर है। लेकिन अब बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है। स्थानीय निवासी रमेश शर्मा ने कहा, “यहाँ साँस लेना मुश्किल हो रहा है। धार्मिक स्थल होने के बावजूद लोग अब यहाँ आने से कतरा रहे हैं।” कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब करोड़ों रुपये खर्च हुए, तो सरोवर की ये हालत क्यों है?
प्रशासन से जवाब की माँग
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस मामले में तुरंत कार्रवाई की माँग की है। उनका कहना है कि नालों का गंदा पानी रोकने, सरोवर की सफाई, और ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरोवर में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए और आसपास के कचरे को हटाने के लिए नियमित निगरानी हो।
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