जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में मचैल माता मंदिर मार्ग पर गुरुवार दोपहर बादल फटने से भयानक तबाही मची। चशोती गांव में हुई इस घटना में 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 98 लोगों को बचाया गया है। इनमें से 28 की हालत गंभीर बताई जा रही है। यह हादसा दोपहर 12:30 बजे हुआ, जब सैकड़ों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए चशोती में जमा थे। बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने लंगर, दुकानों, और एक सुरक्षा चौकी समेत कई इमारतों को बहा दिया। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और सेना ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना पर दुख जताया और हर संभव मदद का भरोसा दिया। मचैल माता की वार्षिक यात्रा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
चशोती में हादसा, यात्रा पर भारी असर
मचैल माता मंदिर, जो 9,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। चशोती गांव इस यात्रा का आखिरी मोटरेबल पॉइंट है, जहां से 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू होती है। घटना के समय हजारों श्रद्धालु यात्रा के लिए जमा थे, जिसके चलते हादसे का प्रभाव बढ़ गया। बादल फटने से अचानक आई बाढ़ ने चशोती की घनी बस्ती को तबाह कर दिया। स्थानीय दुकानें, लंगर, और अस्थायी ढांचे बह गए। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा से बात की और प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू किए। बचाव अभियान में सेना, NDRF, और स्थानीय पुलिस की टीमें लगी हैं।
बचाव कार्य और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद NDRF की दो टीमें उधमपुर से किश्तवाड़ रवाना की गईं। उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नरेश सिंह बचाव अभियान की निगरानी के लिए चशोती पहुंचे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक नियंत्रण कक्ष और सहायता डेस्क स्थापित किया, जिसके लिए हेल्पलाइन नंबर (9858223125, 6006701934, 01995-259555) जारी किए गए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि वह शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। अमित शाह ने भी प्रशासन और NDRF को तेजी से राहत कार्य करने के निर्देश दिए।
मचैल माता यात्रा और भविष्य की चुनौतियां
मचैल माता यात्रा, जो हर साल अगस्त में हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है, इस हादसे से बुरी तरह प्रभावित हुई है। चशोती गांव, जो किश्तवाड़ से 90 किलोमीटर दूर है, अब तबाही का मंजर बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, और हिमालयी क्षेत्रों में तीर्थयात्रा मार्गों पर सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। प्रशासन ने यात्रा को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। स्थानीय निवासियों और विपक्षी नेता सुनील कुमार शर्मा ने भारी नुकसान की आशंका जताई और सरकार से त्वरित सहायता की मांग की। यह घटना न केवल तीर्थयात्रियों बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ा झटका है।
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