केंद्र सरकार का बड़ा कदम, गंभीर अपराध में गिरफ्तारी पर PM, CM, और मंत्रियों की कुर्सी खतरे में

Rahul Maurya

नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: केंद्र सरकार राजनीति में अपराधीकरण पर लगाम लगाने के लिए आज लोकसभा में तीन अहम विधेयक पेश करेगी। ये विधेयक गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या हिरासत के बाद प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह इन विधेयकों को संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजने का प्रस्ताव भी लाएँगे। विधेयक हैं: केंद्र शासित प्रदेश की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025।

केंद्र शासित प्रदेशों में जवाबदेही

केंद्र शासित प्रदेश की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 का मकसद दिल्ली जैसे क्षेत्रों में गंभीर अपराधों में गिरफ्तार मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को हटाना आसान बनाना है। अभी केंद्र शासित प्रदेश की सरकार अधिनियम, 1963 की धारा 45 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस संशोधन से 30 दिनों तक हिरासत में रहने वाले नेताओं को पद छोड़ना होगा। यह कदम दिल्ली में हाल की गिरफ्तारियों के बाद उठाए गए विवादों को देखते हुए महत्वपूर्ण है।

संविधान में बदलाव की तैयारी

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 अनुच्छेद 75, 164, और 239AA में संशोधन करेगा। यह विधेयक गंभीर अपराधों में हिरासत में लिए गए प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हटाने का रास्ता साफ करेगा। अगर कोई नेता 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद छोड़ना होगा। प्रधानमंत्री की स्थिति में 31वें दिन तक इस्तीफा अनिवार्य होगा। यह कदम राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में है।

जम्मू-कश्मीर में नया नियम

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 धारा 54 में बदलाव करेगा। यह गंभीर अपराधों में गिरफ्तार मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को हटाने का प्रावधान करेगा। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना, और यह संशोधन वहाँ प्रशासन को और सख्त करेगा।

उद्देश्य और चुनौतियाँ

ये विधेयक राजनीति को अपराधमुक्त करने और जनता का भरोसा बढ़ाने के लिए हैं। अभी केवल दोषी ठहराए गए नेताओं को ही हटाया जा सकता है, लेकिन गिरफ्तारी के मामलों में नियमों की कमी थी। विपक्ष ने इन विधेयकों को राजनीति से प्रेरित बताया है, और JPC में गहन चर्चा की माँग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश जरूरी हैं।

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