बालाघाट, राष्ट्रबाण। बालाघाट (Balaghat) वारासिवनी नगर के बहुचर्चित श्रीगुरूनानक धर्मशाला के आय-व्यय के लेखा जोखा निर्धारण में करोडो का गबन करने के मामले में अब नया मोड आ चुका है। शिकायतकर्ता विनोद सचदेवा ने प्रेस कॉन्प्रेस लेकर जानकारी देते हुए बताया कि वारासिवनी में स्थित सिंधी समाज कल्याण समिति श्री गुरूनानक धर्मशाला जो कि अस्सिटेंट रजिस्ट्रार एवं फर्म एवं संस्थायें जबलपुर से पंजीकृत थी। जिसमें अपने स्वजातीय बंधुओं एवं अन्य समाज से करोडो रूपयें का चंदा लेकर तथ शासन से लाखो रूपयें का अनुदान प्राप्त कर श्रीगुरूनानक धर्मशाला का निर्माण करवाया गया था।
समिति के पदाधिकारीयों द्वारा बॉयलॉज के नियमो का उल्लंघन कर अपनी मनमानी करते हुए करोडो रूपयें राशि कर गबन करते हुए पालन नही किया जा रहा था। जैसे समिति के नाम से बैंक खाता खोलना, प्रतिवर्ष आय-व्यय का लेखा तैयार करना एवं अन्य नियमो का सरेआम उल्लंघन किया जा रहा था। जिसको लेकर कलेक्टर बालाघाट को लिखित शिकायत की थी। जिसे संज्ञान में लेकर तात्कालीन कलेक्टर ने जांच आदेश पारित कर मामले में एसडीएम के नेतृत्व में जांच दल गठित कर मामले में जांच करवाई थी। जहां जांच दल द्वारा निष्पक्ष जांच रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत की गई। जहां रिपोर्ट में शिकायतकर्ता की उल्लेखित शिकायतें सत्य पाई गई। जिसके उपरांत एसडीएम वारासिवनी ने अस्सिटेंट रजिस्ट्रार एवं फर्म एवं संस्थायें जबलपुर को जानकारी अवगत करवाकर श्रीगुरूनानक धर्मशाला का रजिस्ट्रेशन निरस्त करवाया गया था। जिसके बाद कलेक्टर बालाघाट ने उक्त संपत्ति को शासन में निहित करने हेतू एसडीएम वारासिवनी को रिसीवर नियुक्त किया गया था।
विनोद सचदेव ने बताया कि थाने में प्रथम सूचना दर्ज ना होने के बाद सीधे न्यायालय में परिवाद पेश किया गया था और उक्त प्रकरण में न्यायालय वारासिवनी के आदेश पर 10 लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिनके विरूद्ध धारा 406, 417, 418 व 420 भा.द.वि. के अंतर्गत प्रथम, सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई थी। लेकिन माननीय न्यायालय के आदेश उपरांत थाना वारासिवनी द्वारा पुलिस अधीक्षक के माध्यम से जिला कलेक्टर बालाघाट को सिन्धी समाज कल्याण समिति के लेन-देन एवं आडिट रिपोर्ट एवं केस डायरी प्रेषित कर विशेषज्ञ से जांच करवाने हेतु प्रार्थना की गई थी। जहां कलेक्टर बालाघाट ने पुलिस अधीक्षक के पत्र के परिप्रेक्ष्य में विशेषज्ञों की समिति बनाकर आडिट रिपोर्ट एवं अन्य दस्तावेजों की जांच करने हेतु आदेश जारी किया। जहां कलेक्टर के आदेश पर जिला कोषालय अधिकारी के नेतृत्व में जांच दल गठित कर लेन देन तथा आडिट रिपोर्ट एवं अन्य दस्तावेजों की जांच कर जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट थाना वारासिवनी को प्राप्त हुई थी। जिसकी जानकारी शिकायतकर्ता विनोद सचदेव को पत्र के माध्यम से प्राप्त हुई, जहां 03.01.2025 को कार्यालय कोषालय बालाघाटे कर्मचारी के माध्यम से पत्र क्रमांक / कोष / जांच /2025/11 दिनो 03.01.2025 का पत्र प्राप्त हुआ है।
विनोद सचदेव ने बताया कि उक्त पत्र के अनुसार आरोपीगणों द्वारा माननीय कलेक्टर महोदय को जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट पर अपना पक्ष सुनने हेतु दिनांक 20 दिसंबर 2024 को आवेदन दिया गया था। जहां आरोपीगणों के आवेदन पर कलेक्टर ने वरिष्ठ जिला कोषालय अधिकारी अमित कुमार मरावी को दोनो पक्षों की सुनवाई कर पुनरीक्षित जांच प्रतिवेदन तैयार करने हेतु निर्देशित किया है। अब इस पूरे प्रकरण में विनोद सचदेव का आरोप है कि जिला कोषालय अधिकारी बालाघाट से प्राप्त उपरोक्त जांच प्रतिवेदन पत्र, अब पुलिस विवेचना एवं टीआई वारासिवनी बी.वी. टांडिया एवं प्रकरण के विवेचक धर्मराजसिह बघेल एवं जिला कोषालय अधिकारी अमित कुमार मरावी व जांचदल के अन्य सदस्यों के कृत्यों पर गंभीर प्रश्नचिन्ह उत्पन्न करता है। इनका कृत्य आपराधिक कृत्य है।
विनोद सचदेव ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि प्रस्तुत प्रकरण का अनुसंधान माननीय न्यायालय के देखरेख में सम्पन्न हो रहा है तथा जांच प्रतिवेदन थाना वारासिवनी द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। जहां माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 10.09.2024 को, विवेचक धर्मराजसिंह बघेल को जिला कोषालय बालाघाट से संबंधित केस डायरी प्राप्त होते ही वांछित प्रतिवेदन तत्काल प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया गया था, परन्तु विवेचक द्वारा आज दिनांक तक केस डायरी मय जांच प्रतिवेदन माननीय न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया। जबकि जिला कोषालय अधिकारी द्वारा प्राप्त जांच प्रतिवेदन अनुसंधान का हिस्सा है तथा जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर सर्वप्रथम विवेचक द्वारा उसकी प्रविष्ठि केस डायरी लेकर थाना के रोजनामचा’ (सान्हा) लेख कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिये था।
लेकिन संज्ञेय अपराध में प्राप्त दस्तावेज एवं जाच प्रतिवेदन रिपोर्ट माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के पूर्व थाना प्रभारी वारासिवनी बी.वी. टांडिया, विवेचक धर्मराज सिंह बघेल, जिला कोषालय अधिकारी अमित कुमार मरावी एवं जांच दल के सदस्यों द्वारा जांच प्रतिवेदन आरोपीगणों को दिखाकर उनके विरूद्ध आये गबन के साक्ष्यों से अवगत करा दिया गया है। जिसके बाद आरोपीगणो द्वारा अपने विरूद्ध आये साक्ष्यों का अवलोकन करने के पश्चात साक्ष्यों से छेड़छाड कर साक्ष्य बदलने के उद्देश्य से कलेक्टर को पुन: जाचं कराने हेतू आवेदन किया गया। जहां आरोपीगणों के इस कृत्य से यह प्रश्न उठता है कि जांच प्रतिवेदन के निष्कर्ष तक जांच रिपोर्ट आरोपीगणों तक कैसे पहुंची? तथा उन्हे साक्ष्य नष्ट करने का अवसर किस तरह प्रदान किया गया है। यहां कुल मिलाकर थाना वारासिवनी के प्रभारी एवं विवेचक द्वारा जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर उस पर कार्यवाही करने के बजाय आरोपियो को बचाने का कार्य किया गया। उन्हें गंभीर अपराध (आजीवन कारावास) से बचाने हेतु अनुसंधान में हस्तक्षेप करने का अवसर दिया गया है।
इस तरह उनका कृत्य आरोपीगणों को बचाने के लिए अनुसंधान प्रभावित करने का है। अत: थाना प्रभारी वारासिवनी, विवेचक, जिला कोषालय अधिकारी बालाघाट व जांच दल के सदस्यों का यह कृत्य संज्ञेय अपराध के आरोपियों को बचाने का प्रतीत होता है, जो कि उनका यह कृत्य एक गंभीर आपराधिक कृत्य है। अत: इनके खिलाफ भी अपराध दर्ज होना चाहियें तथा इनके विरूद्ध भी विभागीय जांच प्रारंभ होना चाहियें। विनोद सचदेव ने बताया कि उक्त शिकायत प्रकरण में लगभग 31 लाख 71 हजार रूपये का गबन उजागर हुआ है।