MP में लव जिहाद पर कड़ा कानून लागू, धर्मांतरण पर मिल सकती है फांसी

Rahul Maurya

    मध्य प्रदेश विधानसभा को बताया गया कि जनवरी 2020 से 15 जुलाई 2025 तक राज्य में कथित ‘लव जिहाद’ के 283 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 71 मामले नाबालिग लड़कियों से जुड़े हैं। यह जानकारी बीजेपी विधायक आशीष गोविंद शर्मा के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दी।

    ये मामले मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2021 के तहत दर्ज हुए हैं, जो धोखे या दबाव से किए गए धर्मांतरण को रोकता है। इंदौर में सबसे ज्यादा 74 मामले दर्ज हुए, जबकि भोपाल में 33 मामले हैं। दोनों शहर कुल मामलों का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं। अन्य शहरों में खंडवा और उज्जैन में 12-12, और छतरपुर में 11 मामले सामने आए हैं।

    कानूनी कार्रवाई और जांच

    मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम, 2021, 27 मार्च 2021 से लागू है। यह कानून कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को जबरन धर्मांतरण से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके तहत दोषी को 10 साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। कानून के अनुसार, धर्म परिवर्तन के लिए 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी जरूरी है।

    धार्मिक समारोह आयोजित करने वाले पुरोहित को भी कलेक्टर को पहले सूचित करना होता है। इन मामलों की जांच के लिए 4 मई को पुलिस ने एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई है। कुल 283 मामलों में से 197 मामले कोर्ट में हैं, जबकि 86 मामलों में जांच या फैसला बाकी है।

    सरकार का सख्त रुख

    मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 8 मार्च को कहा था कि उनकी सरकार धर्मांतरण के मामलों में सख्ती बरतेगी। उन्होंने धर्मांतरण के लिए मौत की सजा लागू करने की बात कही थी। इस कानून के तहत सामूहिक धर्मांतरण पर भी कार्रवाई हो सकती है। सरकार का कहना है कि यह कानून सामाजिक सद्भाव और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। हालांकि, कुछ लोग इस कानून को अंतर-धार्मिक विवाहों पर अंकुश के रूप में देखते हैं। इस मुद्दे पर सियासी बहस भी तेज हो रही है।

    श्रम सुधारों को मंजूरी

    इसी विधानसभा सत्र में मध्य प्रदेश सरकार ने दो अहम श्रम सुधार बिल पास किए। मध्य प्रदेश फैक्ट्रीज (संशोधन) बिल, 2025 और मध्य प्रदेश दुकान और प्रतिष्ठान (संशोधन) बिल, 2025 को मंजूरी दी गई। इनका मकसद काम के घंटों और विश्राम अंतराल में लचीलापन लाना है। सरकार का कहना है कि ये बदलाव औद्योगिक विकास और श्रमिक कल्याण को बढ़ावा देंगे। यह कदम बदलती अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने के लिए उठाया गया है।

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