इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस मामले में प्रस्ताव स्वीकार करते हुए तीन सदस्यीय जाँच कमेटी गठित की है। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और कर्नाटक हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीबी आचार्य शामिल हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने के बाद अधजले नोट मिले थे।
आग और अधजले नोटों से शुरू हुआ विवाद
14 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के दिल्ली आवास में आग लगी थी। दमकल कर्मियों को आउटहाउस में भारी मात्रा में अधजले नोट मिले, जिनकी कीमत कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये बताई गई। इस घटना का खुलासा देर से हुआ, लेकिन जब यह मीडिया में आया, तो मामला तूल पकड़ गया। तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने तीन जजों की समिति बनाकर जाँच शुरू की। जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इन आरोपों को “बेतुका और हास्यास्पद” बताया और कहा कि कोई भी इतनी नकदी खुले में नहीं रखेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार का विरोध
इस मामले ने तब और गति पकड़ी, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर का विरोध किया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने हड़ताल की घोषणा की और जाँच की माँग की। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने केवल जाँच को आगे बढ़ाने की बात कही थी।
महाभियोग की प्रक्रिया और अगले कदम
लोकसभा स्पीकर ने नियमों के तहत महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार करते हुए कहा कि कमेटी इस मामले की गहन जाँच करेगी। यह कमेटी जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों, विशेष रूप से उनके आवास से मिले नकदी के स्रोत की पड़ताल करेगी। न्यूज़18 और लाइव लॉ की रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मामला जजों की जवाबदेही और न्यायिक अखंडता पर सवाल उठा रहा है। जाँच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव पर आगे की कार्रवाई होगी।
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