फतेहपुर, राष्ट्रबाण: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में नवाब अबू समद के ऐतिहासिक मकबरे में तोड़फोड़ और हंगामे के बाद सियासी घमासान तेज हो गया है। समाजवादी पार्टी ने अपने नेता पप्पू सिंह चौहान को पार्टी से निष्कासित कर दिया, जिनका नाम इस मामले में सामने आया। पुलिस ने 150 से अधिक लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिसमें बीजेपी और बजरंग दल के नेता भी शामिल हैं। प्रशासन ने मकबरे को सील कर सुरक्षा कड़ी कर दी है।
मकबरे पर हंगामा और तोड़फोड़
सोमवार को फतेहपुर के आबूनगर में स्थित नवाब अबू समद के मकबरे पर हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों ने हंगामा किया। उन्होंने दावा किया कि यह मकबरा पहले ठाकुर जी का मंदिर था और इसके अंदर शिवलिंग मौजूद है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग भगवा झंडा फहराते और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते दिखे। मकबरे के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुँचा, जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने पथराव किया। पुलिस ने सात घंटे की मशक्कत के बाद स्थिति को नियंत्रित किया। मकबरे के आसपास एक किलोमीटर का क्षेत्र सील कर दिया गया, और ड्रोन से निगरानी शुरू की गई।
पुलिस और प्रशासन की सख्ती
फतेहपुर के SP अनूप कुमार सिंह ने बताया कि इलाके में शांति बहाल है, और किसी को कानून तोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मकबरे की मरम्मत मंगलवार रात तक पूरी कर ली गई। अपर पुलिस महानिदेशक संजीव गुप्ता ने घटनास्थल का दौरा कर पड़ोसी जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल मँगवाया। 300 पुलिसकर्मी, दो पीएसी प्लाटून, छह ASP और तीन DSP तैनात किए गए हैं। FIR में बीजेपी नेताओं धर्मेंद्र सिंह, अभिषेक शुक्ला, अजय सिंह, देवनाथ धाकड़, और सपा नेता पप्पू सिंह चौहान समेत 150 से अधिक लोगों के नाम शामिल हैं।
सपा का सख्त रुख और सियासी बयानबाजी
समाजवादी पार्टी ने पप्पू सिंह चौहान को तत्काल निष्कासित करते हुए कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल या बीजेपी के इशारे पर काम करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सपा सांसद नरेश उत्तम पटेल ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जाँच की माँग की, साथ ही मकबरे की जमीन पर भू-माफियाओं के कब्जे का आरोप लगाया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया। उलेमा काउंसिल ने मकबरे को राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए इसकी सुरक्षा की माँग की। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
विवाद का ऐतिहासिक दावा
मकबरे के मुतवल्ली मोहम्मद नफीस का कहना है कि यह 500 साल पुराना ढाँचा है, जिसे औरंगजेब ने बनवाया था। दूसरी ओर, हिंदू संगठनों का दावा है कि मकबरे में त्रिशूल और कमल जैसे प्रतीक मंदिर की मौजूदगी साबित करते हैं। इतिहासकार सतीश द्विवेदी ने बताया कि मकबरे का निर्माण मुगलकाल में हुआ, और कमल जैसे प्रतीक उस दौर में हिंदू कारीगरों की कला का हिस्सा थे।
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