चीनी विदेश मंत्री वांग यी सोमवार से दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। मंगलवार को उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात होगी। यह दौरा भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तनावपूर्ण रहा। इस यात्रा के जरिए दोनों देश सीमा विवाद पर चर्चा करेंगे और डोनाल्ड ट्रंप के हालिया टैरिफ्स के बीच अमेरिका को कड़ा संदेश देने की तैयारी में हैं।
PM मोदी से मुलाकात का महत्व
किसी विदेशी मंत्री का भारत दौरे के दौरान PM मोदी से मिलना असामान्य है, जो इस मुलाकात को खास बनाता है। वांग यी मंगलवार को PM मोदी से उनके आधिकारिक निवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर शाम 5:30 बजे मिलेंगे। यह मुलाकात 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से पहले हो रही है, जिसमें PM मोदी हिस्सा लेंगे। यह 2020 के गलवान संघर्ष के बाद उनकी पहली चीन यात्रा होगी।
सीमा विवाद और विश्वास बहाली
वांग यी का दौरा मुख्य रूप से भारत-चीन सीमा विवाद पर केंद्रित है। वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल के साथ विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता के 24वें दौर में हिस्सा लेंगे। यह वार्ता मंगलवार सुबह होगी और इसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने के लिए नए विश्वास-निर्माण उपायों पर चर्चा होगी। दोनों देश डेपसांग और डेमचोक जैसे विवादित क्षेत्रों से सैन्य वापसी के बाद स्थिति की समीक्षा करेंगे। इसके अलावा, वांग यी सोमवार शाम को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे।
ट्रंप के टैरिफ्स और रणनीतिक संदेश
यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से रूसी तेल खरीदने के कारण भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगा दिया है, जिसमें 25% अतिरिक्त जुर्माना शामिल है। भारत और चीन इस मुलाकात के जरिए ट्रंप को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे दबाव में नहीं झुकेंगे। दोनों देश व्यापार, टैरिफ, और रणनीतिक स्वायत्तता पर एकजुट होकर वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं। हाल ही में चीन ने भारत को यूरिया निर्यात पर प्रतिबंध हटाया, जो द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा दे सकता है।
संबंधों में सुधार के संकेत
2020 के गलवान संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंध तनावपूर्ण रहे, लेकिन पिछले साल अक्टूबर में रूस के कज़ान में PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके परिणामस्वरूप कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हुई और चीनी पर्यटकों के लिए वीजा प्रक्रिया बहाल की गई। दोनों देश अब सीधी उड़ानें शुरू करने पर भी चर्चा कर रहे हैं, जो कोविड-19 और गलवान विवाद के बाद से बंद हैं। इस साल NSA डोवाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और विदेश मंत्री जयशंकर SCO बैठकों के लिए चीन गए थे, जो संबंधों में गर्मजोशी का संकेत है।
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