सिवनी, राष्ट्रबाण। शिव की नगरी सिवनी में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित रानी दुर्गावती वार्ड से गीता भवन स्थानांतरित करने की कथित साजिश ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। रविवार को स्थानीय जागरूक नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने कार्यवाहक अध्यक्ष ज्ञान चंद सनोडिया के खिलाफ नगर पालिका तक जोरदार प्रदर्शन किया। नागपुर रोड से निकले अर्थी जुलूस ने नगर के माहौल को गरमा दिया। प्रदर्शनकारियों ने नगर पालिका के सामने अध्यक्ष की प्रतीकात्मक अर्थी का दहन कर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह निर्णय सीधे तौर पर आदिवासी समाज के साथ भेदभाव है। जिस गीता भवन की स्वीकृति पुरानी कृषि उपज मंडी, नागपुर रोड स्थित रानी दुर्गावती वार्ड में दी गई थी, उसे राजनीतिक दबाव और व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते अध्यक्ष अपने वार्ड सी.बी. रमन वार्ड ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। नागरिकों ने कहा कि यह कदम न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि आदिवासी समाज की भावनाओं को आहत करने वाला भी है।
लोगों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान “आदिवासी वार्ड से भेदभाव बंद करो” और “ज्ञान चंद सनोडिया मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना था कि रानी दुर्गावती वार्ड आदिवासी बहुल इलाका है और यहां गीता भवन की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। नगर पालिका द्वारा इस भवन की स्वीकृति मिलने पर लोगों को उम्मीद जगी थी कि उनके वार्ड में सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए एक स्थायी मंच उपलब्ध होगा। लेकिन अब भवन को हटाकर आदिवासी वार्ड की उपेक्षा करने की साजिश रची जा रही है।
प्रदर्शन में शामिल नागरिकों ने साफ कहा कि नगर पालिका परिषद का यह रवैया सामाजिक न्याय और समानता की धज्जियां उड़ाने जैसा है। उन्होंने सवाल उठाया कि नगर पालिका अध्यक्ष को क्या केवल अपने वार्ड के विकास की चिंता है, और आदिवासी समाज के वार्डों की कोई अहमियत नहीं है? प्रदर्शनकारियों ने इसे आदिवासी समुदाय की उपेक्षा और अधिकारों पर हमला बताया।
लोगों ने चेतावनी दी कि यदि रानी दुर्गावती वार्ड से गीता भवन हटाया गया, तो विरोध और उग्र होगा। उन्होंने कहा कि नगर पालिका प्रशासन को तत्काल इस निर्णय को रद्द करना चाहिए और भवन निर्माण वहीं किया जाना चाहिए, जहां के लिए स्वीकृति मिली थी। अन्यथा इस आंदोलन को पूरे जिले तक फैलाया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी कार्यवाहक अध्यक्ष की होगी।
नगर पालिका परिषद के सामने हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में नागरिकों ने भाग लिया। युवाऔर बुजुर्ग सभी इसमें शामिल हुए। नारों के बीच निकाले गए अर्थी जुलूस ने पूरे नगर का ध्यान खींचा। नगर पालिका कार्यालय के बाहर प्रतीकात्मक अर्थी दहन कर नागरिकों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी कीमत पर आदिवासी वार्ड के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इस पूरे घटनाक्रम में एक और सवाल खड़ा हो गया है। रानी दुर्गावती वार्ड से इस समय महिला भाजपा पार्षद निर्वाचित हैं। ऐसे में नगर पालिका अध्यक्ष का अपने ही दल की महिला पार्षद के वार्ड से गीता भवन हटाने का प्रयास कई राजनीतिक सवालों को जन्म दे रहा है। नागरिकों का कहना है कि यह भाजपा संगठन के भीतर की खींचतान का हिस्सा भी हो सकता है, जिसका खामियाजा आदिवासी वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की कि आदिवासी समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए गीता भवन का निर्माण रानी दुर्गावती वार्ड में ही कराया जाए। साथ ही नगर पालिका परिषद के कार्यों में पारदर्शिता लाने और कार्यवाहक अध्यक्ष की मनमानी पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। वार्डवासियों ने दो टूक कहा कि यह लड़ाई केवल एक भवन की नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के सम्मान और हक की है। यदि नगर पालिका और सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, तो आंदोलन और तेज होगा।
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