नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (2 सितंबर 2025) नई दिल्ली के यशोभूमि में सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन का मकसद भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी का ग्लोबल हब बनाना है। तीन दिन तक चलने वाला ये आयोजन भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पीएम मोदी 3 सितंबर को सीईओ राउंडटेबल में भी हिस्सा लेंगे, जहाँ दुनियाभर के बड़े उद्योगपति और विशेषज्ञ शामिल होंगे।
क्या-क्या होगा सम्मेलन में?
सेमीकॉन इंडिया 2025 में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। इनमें सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम की प्रगति, सेमीकंडक्टर फैब और एडवांस्ड पैकेजिंग प्रोजेक्ट्स, स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में नए आविष्कार, निवेश के मौके और राज्य सरकारों की नीतियाँ शामिल हैं। इसके अलावा, डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम, स्टार्टअप्स को बढ़ावा, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे टॉपिक्स भी फोकस में रहेंगे। ये सम्मेलन भारत को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
48 देशों के मेहमान, 350+ प्रदर्शक
इस बार के सम्मेलन में 20,750 से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे, जिनमें 48 देशों से आए 2,500 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हैं। 350 से अधिक प्रदर्शक अपने नए उत्पाद और टेक्नोलॉजी दिखाएंगे। 6 देशों के राउंडटेबल डिस्कशन, 4 कंट्री पैवेलियन और 9 भारतीय राज्यों की भागीदारी इसे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर इवेंट बनाती है। इस आयोजन में भारत के 10 बड़े सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को भी हाइलाइट किया जाएगा, जिनमें हाई-वॉल्यूम फैब्स, एडवांस्ड पैकेजिंग और OSATs शामिल हैं।
भारत का सेमीकंडक्टर सपना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2021 में शुरू हुई इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) ने इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। हाल ही में गुजरात के सानंद में देश की पहली OSAT पायलट लाइन शुरू हुई, जहाँ जल्द ही ‘मेड इन इंडिया’ चिप बनने की उम्मीद है। पिछले कुछ सालों में भारत ने बेंगलुरु (2022), गांधीनगर (2023) और ग्रेटर नोएडा (2024) में सेमीकॉन सम्मेलनों का आयोजन किया है, जो भारत की इस क्षेत्र में बढ़ती ताकत को दिखाते हैं।
क्यों जरूरी है ये सम्मेलन?
सेमीकंडक्टर आज के दौर में हर टेक्नोलॉजी का आधार हैं—चाहे वो मोबाइल, हेल्थकेयर, डिफेंस हो या अंतरिक्ष। भारत जैसे बड़े देश के लिए सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा, बल्कि रणनीतिक ताकत भी देती है। ये सम्मेलन भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में मजबूत करने और निवेश लाने का सुनहरा मौका है। आप इस सम्मेलन और भारत के सेमीकंडक्टर सपने के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय ज़रूर बताएँ।
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