मराठा आरक्षण विवाद: प्रकाश आंबेडकर का बीजेपी पर हमला, बोले- ‘ओबीसी को सड़कों पर उतरना होगा’

Rahul Maurya

मुंबई, राष्ट्रबाण: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है। वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने बीजेपी सरकार पर मराठा और ओबीसी समुदायों को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया है।

उन्होंने ओबीसी समुदाय से अपील की कि वे अपने आरक्षण की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरें, वरना उनके मौजूदा अधिकार भी छिन सकते हैं। आंबेडकर ने साफ कहा, “मराठों को ओबीसी कोटे से आरक्षण नहीं दिया जा सकता। मराठा समुदाय के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।”

बीजेपी ने फैलाया झूठ: आंबेडकर

प्रकाश आंबेडकर ने बीजेपी सरकार पर मराठा समुदाय को झूठे वादों से भटकाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बीजेपी ने मराठा नेताओं को गुमराह किया है। सरकार का दावा कि सभी मराठा कुनबी हैं और उन्हें ओबीसी कोटे में शामिल किया जाएगा, पूरी तरह भ्रामक है।” आंबेडकर ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पूरे मराठा समुदाय को कुनबी मानना गलत और असंभव है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी मराठा आरक्षण को 2021 में रद्द कर दिया था। आंबेडकर ने जोर देकर कहा कि हाल ही में जारी सरकारी आदेश (GR) हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और इसे कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

ओबीसी को आंदोलन की सलाह

आंबेडकर ने ओबीसी समुदाय को चेतावनी दी कि अगर वे अपने अधिकारों के लिए अब नहीं लड़े, तो उनका आरक्षण खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “कोई नेता आए या न आए, ओबीसी को सड़कों पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी।

VBA की भूमिका स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मराठा समुदाय को आरक्षण देने के पक्ष में है, लेकिन यह ओबीसी कोटे की कीमत पर नहीं होना चाहिए। आंबेडकर ने ओबीसी संगठनों से एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन, रैलियाँ, और कैबिनेट में मौजूद ओबीसी मंत्रियों पर दबाव बनाने का आह्वान किया।

मराठा आंदोलन और सरकारी कदम

मराठा आरक्षण के लिए आंदोलनरत नेता मनोज जरांगे ने 2 सितंबर को अपनी पाँच दिन की भूख हड़ताल खत्म की थी, जब सरकार ने उनकी माँगों को मानते हुए पात्र मराठों को कुनबी (ओबीसी) जाति प्रमाणपत्र देने का सरकारी आदेश जारी किया। लेकिन इस फैसले ने ओबीसी नेताओं में नाराजगी पैदा कर दी है।

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने इस आदेश पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने 3 सितंबर को कैबिनेट बैठक का बहिष्कार किया और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने की बात कही। भुजबल ने कहा, “ओबीसी का हक छिनने नहीं देंगे।”

सामाजिक तनाव की आशंका

आंबेडकर ने चेतावनी दी कि सरकार का यह कदम मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, “बीजेपी दोनों समुदायों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है।” महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी, दोनों ही सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय हैं। मराठा समुदाय लंबे समय से आरक्षण की माँग कर रहा है, जबकि ओबीसी समुदाय अपने मौजूदा कोटे की रक्षा के लिए आंदोलनरत है।

महाराष्ट्र में आरक्षण का यह विवाद अब कानूनी और राजनीतिक जंग का रूप ले सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को दोनों समुदायों के बीच संतुलन बनाना होगा। पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता सचिन पाटिल ने कहा, “मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देना ही इस विवाद का समाधान है।

ओबीसी कोटे में हस्तक्षेप सामाजिक सौहार्द बिगाड़ सकता है।” आंबेडकर ने भी इस बात पर जोर दिया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों का सम्मान करते हुए पारदर्शी नीति बनानी चाहिए।

कुल मिलाकर, यह विवाद महाराष्ट्र की सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है। क्या सरकार इस संकट का हल निकाल पाएगी? यह वक्त बताएगा।

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