नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: भारत चुनाव आयोग ने देशभर के मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEOs) के साथ बैठक बुलाई, जिसमें विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) अभ्यास, मतदाता सूची की सफाई और मतदान केंद्रों के प्रबंधन पर गहन चर्चा हुई। आयोग ने साफ निर्देश दिए कि किसी भी मतदान बूथ पर 1200 से अधिक वोटर न हों, ताकि वोटिंग प्रक्रिया सुगम हो। ये कदम आगामी चुनावों को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए उठाए जा रहे हैं।
CEOs सम्मेलन में क्या हुआ?
बुधवार को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल मैनेजमेंट (IIIDEM) में इस साल का तीसरा CEOs सम्मेलन हुआ। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने उद्घाटन किया, जिसमें निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी भी मौजूद रहे। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के CEOs ने SIR की तैयारियों पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। बिहार के CEO ने विशेष रूप से मतदाता सूची के अपडेट और चुनौतियों पर फोकस किया।
SIR अभ्यास पर जोर
सम्मेलन में SIR की रणनीतियों, मतदाता संख्या, योग्यता तिथि और पिछले अभ्यास के बाद डिजिटलीकरण की प्रगति पर बात हुई। CEOs ने वर्तमान मतदाताओं का पिछले SIR से मिलान भी दिखाया। आयोग ने मतदान केंद्रों के युक्तिकरण पर जोर दिया, ताकि बूथों पर भीड़ न हो। इसका मकसद वोटरों को आसानी से वोट डालने का मौका देना है। एक अधिकारी ने बताया, “1200 वोटरों की सीमा से प्रक्रिया तेज और सुरक्षित बनेगी।”
मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित
CEOs ने मतदाता सूची में शुद्धता और समावेशिता के लिए दस्तावेजों पर सुझाव दिए। पात्र नागरिकों को सूची से बाहर न करने और अपात्रों को शामिल न करने पर फोकस रहा। दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर भी चर्चा हुई। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और तकनीकी नवाचारों का इस्तेमाल बढ़ाने का फैसला लिया गया।
अधिकारियों का प्रशिक्षण महत्वपूर्ण
आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEOs), निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (EROs), बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) और एजेंट्स (BLAs) की नियुक्ति व प्रशिक्षण की समीक्षा की। इनकी भूमिका मतदाता सूची प्रबंधन और निष्पक्ष चुनाव में अहम है। CEOs को निर्देश दिए गए कि SIR को समय पर और पारदर्शी तरीके से पूरा करें।
आगे की योजना
ये प्रयास आगामी चुनावों में वोटरों को बेहतर अनुभव देंगे। आयोग का कहना है कि डिजिटल टूल्स से प्रक्रिया और मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ये बदलाव लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। वहीँ विपक्ष लगातार चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठा रही हैं।
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