पटना, राष्ट्रबाण: बिहार की सियासत में विधानसभा चुनाव 2025 की हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीट बंटवारे का खाका तैयार कर लिया है, और इसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के लिए अच्छी खबर है।
सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने साफ कर दिया है कि इस बार गठबंधन में न कोई बड़ा भाई होगा, न छोटा। सभी सहयोगी दलों को उनकी ताकत और सियासी हैसियत के हिसाब से सीटें मिलेंगी। आइए, जानते हैं कि बिहार की इस सियासी चौपड़ पर कौन कितने पाले जीतेगा।
NDA में नया समीकरण, सबको बराबर का हक
बिहार में NDA का गठबंधन हमेशा से जटिल समीकरणों का खेल रहा है। इस बार BJP ने साफ कर दिया है कि सीट बंटवारा जीत की संभावना, सामाजिक समीकरण, और क्षेत्रीय रणनीति को ध्यान में रखकर होगा। पहले के चुनावों में जनता दल यूनाइटेड (JDU) सबसे ज्यादा सीटों पर लड़ती थी, लेकिन इस बार तस्वीर बदलती दिख रही है।
BJP और JDU को लगभग बराबर सीटें मिलने की उम्मीद है, यानी दोनों 100-105 सीटों के आसपास लड़ सकते हैं। लेकिन असली चर्चा चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को लेकर है, जिसे तीसरे नंबर पर अच्छा-खासा हिस्सा मिलने वाला है।
चिराग पासवान की वापसी
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी NDA से बाहर थी और JDU के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर उसने नीतीश कुमार की राह मुश्किल कर दी थी। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की वापसी ने गठबंधन को मजबूती दी। उनकी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते BJP ने उन्हें विधानसभा चुनाव में बड़ा हिस्सा देने का मन बना लिया है।
सूत्रों का कहना है कि लोजपा (रामविलास) को 18-20 सीटें मिल सकती हैं, जो उनकी बढ़ती सियासी ताकत को दिखाता है। चिराग, जो खुद को पीएम मोदी का “हनुमान” कहते हैं, इस बार बिहार में अपनी पार्टी का झंडा बुलंद करने को तैयार हैं।
छोटे दलों का भी हिस्सा
NDA में छोटे सहयोगी दलों जैसे जितन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को भी उनकी ताकत के हिसाब से सीटें मिलेंगी। अनुमान है कि दोनों को 8-10 सीटें दी जा सकती हैं। BJP ने साफ कर दिया है कि कोई भी दल ज्यादा सीटों के लिए दबाव नहीं डाल सकता।
गठबंधन में एकजुटता और जीत की रणनीति को सबसे ऊपर रखा जाएगा। इसके लिए सामाजिक समीकरणों, जैसे EBC, दलित, और OBC वोटरों को ध्यान में रखा जा रहा है, ताकि विपक्षी महागठबंधन को कड़ी टक्कर दी जा सके।
नीतीश का रोल और सियासी माहौल
नीतीश कुमार की JDU बिहार में NDA का बड़ा चेहरा रही है, लेकिन इस बार BJP के साथ बराबरी का समीकरण बनता दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि नीतीश की पार्टी 100-105 सीटों पर लड़ेगी, लेकिन वो पहले की तरह “बिग ब्रदर” की भूमिका में नहीं होंगे।
BJP ने ये भी सुनिश्चित किया है कि गठबंधन में कोई टकराव न हो और सभी दल एकजुट होकर महागठबंधन के खिलाफ मैदान में उतरें। बिहार की 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में होने वाले चुनाव में ये फॉर्मूला NDA की जीत का रास्ता साफ कर सकता है।
क्या होगा असर?
बिहार की सियासत में सीट बंटवारे का ये फॉर्मूला न सिर्फ NDA के दलों के बीच तालमेल को दर्शाता है, बल्कि चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं को नया मौका भी देता है। अगर ये रणनीति कामयाब रही, तो NDA एक बार फिर बिहार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। लेकिन विपक्षी महागठबंधन, खासकर तेजस्वी यादव की RJD, इसे आसान नहीं होने देगी। सियासी पंडितों की नजर अब इस बात पर है कि कौन सा दल कितनी सीटों पर बाजी मारता है।
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