देहरादून के सहस्त्रधारा में बादल फटने से भारी तबाही: दुकानें बहीं, दो लोग लापता

Rahul Maurya

    देहरादून, राष्ट्रबाण: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा में रात भर की भारी बारिश के बाद बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। तेज रफ्तार पानी ने नदी किनारे की कई दुकानें बहा दीं और लाखों रुपये का नुकसान हो गया। इस आपदा में दो लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश में प्रशासन और बचाव दल जुटे हुए हैं। जिला प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, जिससे बड़ी अनहोनी टल गई।

    बादल फटने की घटना और शुरुआती प्रभाव

    रात में सहस्त्रधारा क्षेत्र में अचानक बादल फटने से तमसा नदी उफान पर आ गई। तेज बहाव ने नदी किनारे बसी दुकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, पानी का वेग इतना तेज था कि दुकानें खिलौनों की तरह बह गईं। इस हादसे में दो व्यक्तियों का पता नहीं चल रहा है, और उनकी तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चल रहा है। आसपास के इलाकों में पानी भर गया, जिससे कई गाड़ियां भी बहने लगीं।

    प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

    जिलाधिकारी सविन बंसल ने घटना की सूचना मिलते ही कमान संभाली। उन्होंने एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और लोक निर्माण विभाग को तुरंत अलर्ट किया। एसडीएम कुमकुम जोशी रात में ही मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्यों का जायजा लिया। जेसीबी और अन्य भारी मशीनरी लगाकर मलबा हटाने का काम शुरू हो गया। भारी बारिश को देखते हुए डीएम ने कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया। प्रशासन ने आसपास के लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया, जिससे जानमाल का कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

    कितना हुआ नुकसान

    यह घटना देहरादून-हरिद्वार नेशनल हाईवे के फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के पास भी देखने को मिली, जहां एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया। टपकेश्वर महादेव मंदिर परिसर में 1-2 फीट मलबा जमा हो गया, और मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा। आईटी पार्क देहरादून में देर रात पानी भरने से कई वाहन बह गए। दुकानदारों को लाखों का चूना लगा है, लेकिन प्रशासन ने प्रभावितों को राहत पैकेज देने का भरोसा दिया है।

    बचाव अभियान जारी

    एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें युद्ध स्तर पर काम कर रही हैं। लापता लोगों की तलाश के लिए ड्रोन और अन्य तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है और आसपास के जिलों से भी मदद मांगी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की विदाई के बावजूद ऐसी घटनाएं जलवायु परिवर्तन का संकेत हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि भारी बारिश के दौरान नदियों के किनारे न जाएं।

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