यासीन मलिक के हलफनामा में RSS नेताओं और शंकराचार्यों से मिलने का दावा, हाईकोर्ट में कई बड़े खुलासे

Rahul Maurya

    नई दिल्ली राष्ट्रबाण: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे से कई सनसनीखेज दावे किए हैं। तिहाड़ जेल में उम्रकैद काट रहे मलिक ने 25 अगस्त को यह हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने राजनीतिक, धार्मिक और सुरक्षा एजेंसियों से अपने कथित संपर्कों का जिक्र किया। मलिक का कहना है कि देश के बड़े नेता और संगठन उनके साथ खुलकर बातचीत करते रहे।

    RSS और शंकराचार्यों से मुलाकात

    मलिक ने दावा किया कि 2011 में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नेताओं के साथ उनकी पांच घंटे लंबी बैठक हुई। यह मीटिंग सेंटर फॉर डायलॉग एंड रिकॉन्सिलिएशन नामक थिंक टैंक के जरिए आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा, “गंभीर आरोपों के बावजूद समाज के प्रभावशाली लोग मुझसे दूर नहीं हुए, बल्कि संवाद बनाए रखा।”

    इसके अलावा, मलिक ने बताया कि दो अलग-अलग मठों के शंकराचार्य कई बार उनके श्रीनगर वाले घर पर आए। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी वे उनके साथ सार्वजनिक रूप से नजर आए। मलिक ने कहा कि ये मुलाकातें कश्मीर मुद्दे पर शांति प्रयासों का हिस्सा थीं।

    वाजपेयी सरकार के दौर की भूमिका

    हलफनामे में मलिक ने 2000-01 के ‘रमजान सीजफायर’ में अपनी अहम भूमिका का जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी आर.के. मिश्रा ने उन्हें अपने घर बुलाया और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा से मिलवाया। अजीत डोभाल ने उन्हें खुफिया ब्यूरो प्रमुख श्यामल दत्ता से जोड़ा। मलिक का कहना है कि इन प्रयासों से हुर्रियत नेताओं (अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और अब्दुल गनी लोन) ने युद्धविराम का समर्थन किया।

    उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी और तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी उनके प्रयासों के हक में थे। इसी दौरान उन्हें पहला पासपोर्ट मिला, जिससे वे अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और पाकिस्तान गए और वहां कश्मीर पर अहिंसक संघर्ष की बात की।

    मनमोहन सिंह से बातचीत

    मलिक ने आगे दावा किया कि फरवरी 2006 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने उन्हें औपचारिक बैठक के लिए बुलाया। सिंह ने कश्मीर मुद्दे के समाधान की गंभीर कोशिशों का आश्वासन दिया। मलिक ने कहा कि उन्होंने भी भारत के साथ शांति प्रक्रिया में सहयोग का भरोसा दिलाया।

    NIA की मांग और कोर्ट की कार्रवाई

    याद रहे, 11 अगस्त को NIA ने आतंकी फंडिंग केस में मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की। दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। सरकार का आरोप है कि मलिक ने पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के साथ मिलकर भारत की संप्रभुता को चुनौती दी।

    मलिक के ये खुलासे कश्मीर राजनीति और शांति प्रयासों पर नई बहस छेड़ सकते हैं। लेकिन NIA का कहना है कि ये दावे उनकी सजा को कम करने की कोशिश हैं। कोर्ट अब इन दावों की पड़ताल करेगी।

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