सऊदी-पाक रक्षा समझौते पर भारत का सतर्क रुख UAE-कतर को संवेदनशीलताओं का ध्यान रखने को कहा

Rahul Maurya

    नई दिल्ली, राष्ट्रबाण: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते ने भारत को सतर्क कर दिया है। भारत ने सऊदी से इस सौदे में दोनों देशों की संवेदनशीलताओं का ख्याल रखने की अपील की है। अब खबरें हैं कि UAE और कतर जैसे मुस्लिम देश भी पाकिस्तान के साथ इसी तरह के समझौते पर विचार कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने इन देशों से भी भारत के साथ मजबूत रिश्तों को ध्यान में रखने का आग्रह किया है।

    दोनों देशों पर हमला, दोनों को चोट

    बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ‘रणनीतिक आपसी रक्षा समझौता’ पर हस्ताक्षर किए। संयुक्त बयान में साफ कहा गया कि ‘दोनों में से किसी पर भी आक्रामक कार्रवाई को दोनों पर हमला माना जाएगा’। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को एक टीवी इंटरव्यू में दावा किया कि UAE और कतर जैसे अन्य अरब देश भी इस समझौते में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान की परमाणु क्षमताएं इस सौदे के तहत उपलब्ध होंगी।

    ये समझौता पश्चिम एशिया की बदलती भू-राजनीति के बीच आया है, जहां इजरायल की हालिया कार्रवाइयां—जैसे कतर में हमास नेताओं पर हमले अरब देशों को अमेरिका पर भरोसा कम कर रही हैं। सऊदी और पाकिस्तान के बीच पुराने रक्षा संबंध हैं, और सऊदी ने पाकिस्तान की आर्थिक मुश्किलों में मदद भी की है। लेकिन भारत के लिए ये चिंता का विषय है, क्योंकि पाकिस्तान के साथ तनाव हमेशा बना रहता है।

    भारत की प्रतिक्रिया

    विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शनिवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “भारत और सऊदी अरब के बीच हाल के वर्षों में साझेदारी मजबूत हुई है। हम उम्मीद करते हैं कि ये साझेदारी आपसी हितों और संवेदनशीलताओं को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेगी।” जायसवाल ने बताया कि भारत को पाकिस्तान और सऊदी के बीच इस तरह के समझौते पर लंबे समय से चर्चा की जानकारी थी, जो अब औपचारिक रूप ले चुका है।

    UAE और कतर के संभावित शामिल होने पर जायसवाल ने कहा कि भारत के इन देशों के साथ ‘व्यापक’ रिश्ते हैं। उन्होंने हालिया बातचीत का जिक्र किया जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से फोन पर चर्चा और UAE की विदेश राज्य मंत्री रीम अल हाशिमी की दिल्ली यात्रा। भारत ने इन देशों से भी अपील की है कि कोई भी कदम भारत की सुरक्षा और हितों को प्रभावित न करे।

    पृष्ठभूमि: क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल

    पिछले एक दशक में भारत और सऊदी के बीच रक्षा सहयोग बढ़ा है—संयुक्त सैन्य और नौसेना अभ्यास इसका उदाहरण हैं। भारत पश्चिम एशिया को अपना ‘विस्तारित पड़ोस’ मानता है और यहां अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। लेकिन पाकिस्तान के साथ सऊदी का ये नया बंधन क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत-पाक तनाव बढ़ा, तो ये समझौता मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

    भारतीय अधिकारी अभी समझौते के कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं, क्योंकि इसके पूरे विवरण सार्वजनिक नहीं हुए हैं। ख्वाजा आसिफ के बयान के मुताबिक, “इस समझौते में कोई ऐसा क्लॉज नहीं है जो किसी अन्य देश को शामिल होने से रोके।”

    आगे की चुनौतियां: क्या बदलेगा खेल?

    ये सौदे भारत के लिए कूटनीतिक परीक्षा हैं। भारत अपनी मजबूत डिप्लोमेसी से सऊदी, UAE और कतर जैसे खाड़ी देशों के साथ रिश्ते संभालने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अगर परमाणु क्षमता का जिक्र सही निकला, तो क्षेत्रीय सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ेगा। भारत सरकार ने साफ संदेश दिया है—किसी भी साझेदारी में भारत की संवेदनाएं अनदेखी न हों। आने वाले दिनों में ये देखना होगा कि क्या ये अपील रंग लाती है, या पश्चिम एशिया का समीकरण और जटिल होता है।

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