सिवनी, राष्ट्रबाण। जिला कलेक्टर शीतला पटेल द्वारा उच्च-स्तरीय जांच टीम गठित कर मौका में पहुंचा। इस जांच टीम में राजस्व और खनिज की संयुक्त अधिकारियों की टीम शामिल रही। जब जांच टीम बिठली के ग्राम राधादेही में जैसे ही सरपंच पति के ‘तालाब की आड़ में पत्थर चोरी’ के खेल का जांच करने कलेक्टर कार्यालय से टीम पहुंचने के बाद ग्राम राधादेही में हड़कंप मच गया। दिनांक 17 नवंबर 2025 की मौके की कार्रवाई में अधिकारियों ने पाया कि जिस खसरा नंबर 34(S) पर नया तालाब बनाने की साजिश की जा रही है। वह तो सरकारी रिकॉर्ड में “बड़ा पेड़ का जंगल” के रूप में दर्ज है। यानी सरकारी जमीन पर अवैध खुदाई चल रही थी। जैसे ही आवेदक पंच रामप्रसाद उइके को जांच टीम में मौजूद रखवा पटवारी का फोन करके मौजा में बुलाया गया उसी दौरान पंच द्वारा प्रशासनिक टीम को स्पष्ट कर दिया कि ग्रामवासी को नये तालाब की कोई आवश्यकता नहीं है। इस बयान ने सरपंच के निजी स्वार्थ और क्रेशर संचालक केशव अग्रवाल से उसकी गहरी साठगांठ की पोल खुल गई।
बदले की आग और तानाशाही का शॉक: किसानों पर वार!
जांच टीम की कार्रवाई और पोल खुलने के डर से, कथित ‘पत्थर-माफिया’ के साथ जुड़े सरपंच ने अपनी तानाशाही का सबसे निचला स्तर का प्रदर्शन किया। सत्ता के मद में चूर सरपंच ने जांच टीम के रवाना होने के बाद ही विद्युत विभाग की डीपी को सरकारी जगह से अलग करने का दबाव बनने लगा। उसका यह कदम सीधे उन स्थानीय किसानों पर हमला किया। जिन्होंने वोट देकर उसकी पत्नी को सरपंच चुना और साथ ही अवैध उत्खनन के खिलाफ आवाज उठाई। इस गंभीर कदम से ग्राम वासियों स्वयं विद्युत विभाग के दफ्तर जाकर डीपी को अपनी निजी भूमि में स्थानांतरण करने की आवेदन दे दिया है।
क्या ‘राजस्व’ का रिकॉर्ड बनेगी परेशानी? कलेक्टर पर अब दोहरा दबाव
इस पूरे मामले ने अब केवल अवैध उत्खनन का नहीं, बल्कि सरकारी संपत्ति में हेरफेर, पद का दुरुपयोग, और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दबाने का भी रंग ले लिया है। राजस्व रिकॉर्ड में बड़े पेड़ का जंगल दर्ज होने से यह साबित हो गया है कि सरपंच की योजना न केवल अवैध खनन की थी। बल्कि वह शासकीय जमीन पर अतिक्रमण करके अपने दूसरे राज्य के माफिया-पार्टनर को मुनाफा कमाकर देना चाहता था। सूत्रों के अनुसार किसानों की आवाज दबाने के लिए बिजली कटवाना आपराधिक कृत्य की श्रेणी में भी आता है। अब सवाल यह है कि जिला कलेक्टर शीतला पटेल कब इस ‘तानाशाही सरपंच’ और उसके ‘माफिया साथी’ पर क्या कड़ी कानूनी कार्रवाई की तलवार चलाती हैं। जिसमें गिरफ्तारी और पदों से बेदखली की मांग जोर पकड़ रही है।
सरपंच पर तानाशाही का आरोप
वही किसानों का सीधा आरोप यह है कि सरपंच और माफिया किस राज नेता की दम पर यह तानाशाही कर रहे है? क्या जिले के “सत्ता के गलियारों” से उसे अदृश्य समर्थन मिल रहा है, जिसके कारण वह प्रशासन की जांच के बावजूद सरेआम बदला ले रहा है? यह मामला अब सिर्फ पत्थर चोरी का नहीं, बल्कि प्रशासन की शक्ति और माफिया की संगठित ताकत के बीच सीधा टकराव बन चुका है एक ओर माफिया अपने पैसे के दम में अपना रुतबा दिख रहा है वहीं सरपंच अपने राजनीति पहचान का फायदा उठाते हुए इस तरह का काम कर रहा है। अब देखना है कि क्या जिला प्रशासन इसके ऊपर कठोर कार्यवाही करेगा की नहीं? यह फिर सिवनी में करीबी प्रदेश के ‘पत्थर-माफिया’ का राज बरकरार रहेगा और वही स्थानीय किसानों की आवाज की कोई कीमत नहीं रहेगी।
सरपंच बोला- मवेशियों किसानो के लिए तालाब जरुरी
वही इस मामले में ग्राम पंचायत सरपंच ने अपना पक्ष रखते हुए राष्ट्रबाण को बताया की तलाव में मवेशियों, किसानों के लिए पर्याप्त पानी न रहने के कारण किसानो एवं पशुओं की समस्या देखते हुए ग्रामीणों ने निर्णय लिया .की पर्याप्त पानी के लिए तालाब का चोडीकरण किया जाना आवश्यक हो गया है जिसके लिए पंचायत में विधिवत प्रस्ताव पारित किया गया है। मावेशी व किसाने की सुविधा के लिए यह तालाब का चौड़ीकरण कार्य वर्तमान समय की जरुरत बन गई है।
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