नक्सल-उन्मूलन के लिए जंगल में ऑपरेशन तेज: बालाघाट में फोर्स की बड़ी तैनाती, मार्च 2026 तक ‘नक्सल-मुक्त जिला’ बनाना एसपी मिश्रा का लक्ष्य

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    बालाघाट, राष्ट्रबाण। नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में लंबे समय से शामिल बालाघाट में अब नक्सल-उन्मूलन को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय द्वारा मार्च 2026 तक नक्सली गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाने के निर्देश के बाद बालाघाट पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने जंगलों में बड़े पैमाने पर फोर्स को उतार दिया है। जिले के दुर्गम और नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में हॉकफोर्स, सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और जिला पुलिस बल की कंपनियां संयुक्त रूप से विशेष अभियान चला रही हैं।

    विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, जिले के लगभग सभी थाना क्षेत्रों से पर्याप्त पुलिस बल को जंगलों की ओर भेजा गया है। इन जवानों में वह अधिकारी और पुलिसकर्मी शामिल हैं जिन्हें नक्सल मोर्चे का अनुभव है और जिन्होंने वर्षों तक दंतेवाड़ा, गढ़चिरौली और बालाघाट के कठिन जंगलों में अभियान चलाए हैं। एसपी मिश्रा का प्रयास है कि मार्च 2026 की समयसीमा से पहले जिले में सक्रिय नक्सलियों की गतिविधियों को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए।

    हाल के समय में दो महिला नक्सलियों- गोंदिया की संगीता और छत्तीसगढ़ की सुनीता के आत्मसमर्पण ने सुरक्षा बलों के हौसले को और मजबूत किया है। हालांकि, इसी दौरान हॉकफोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा की तीन राज्यों के संयुक्त अभियान में शहादत ने बल को भावनात्मक रूप से झकझोर दिया। आशीष शर्मा अपनी वीरता और कर्तव्यनिष्ठा के लिए दो बार वीरता पदक से सम्मानित किए जा चुके थे। उनके शहीद होने के बाद पुलिस ने इसे बड़ी चुनौती के रूप में लिया और जंगलों में अभियान को और अधिक आक्रामक व संगठित किया गया है।

    पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने हाल ही में प्रेस को जारी अपने बयान में नक्सलियों को दो-टूक संदेश दिया था कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेंगे, उन्हें शासन की ओर से निर्धारित सभी सुविधाएँ, पुनर्वास लाभ और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिलेगा। लेकिन यदि वे हथियारबंद गतिविधियों में शामिल रहते हैं तो जंगलों में होने वाली कार्यवाही के परिणाम उन्हें स्वयं भुगतने होंगे। मिश्रा के इस बयान ने नक्सली मोर्चे पर पुलिस की सख्त और स्पष्ट रणनीति को रेखांकित किया है।

    बालाघाट का नक्सली इतिहास और वर्तमान अभियान

    बालाघाट जिला वर्ष 1990 से नक्सली गतिविधियों से प्रभावित रहा है। इस दौरान अनेक नागरिक और पुलिसकर्मी नक्सली हिंसा के शिकार हुए। कई बड़े नक्सली दलम वर्षों तक जिले के घने जंगलों में सक्रिय रहे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लगातार अभियान, बढ़ती फोर्स तैनाती और सीमावर्ती राज्यों में समन्वित कार्रवाई के चलते नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई है। अब सरकार की ‘मार्च 2026’ की डेडलाइन ने इस अभियान को और तेज कर दिया है।

    वर्तमान में जिले के सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों बैहर, बिरसा, लांजी, मलाजखंड, गढ़ी, बहेला और किरनापुर में विशेष मोर्चा संभाला गया है। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाकों, गुफाओं, गहरी घाटियों और घने जंगलों में तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं। ड्रोन निगरानी, हाई-टेक वायरलेस सिस्टम और संयुक्त कमांड कंट्रोल के जरिए अभियान की निगरानी की जा रही है।

    2020 से 2025 के बीच नक्सली घटनाओं का रिकॉर्ड

    पिछले पाँच वर्षों में बालाघाट पुलिस ने बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया तथा कई इनामी नक्सलियों को गिरफ्तार किया है। इन घटनाओं ने नक्सली संगठन को भारी नुकसान पहुँचाया है। 17 सितंबर 2022 को 14 लाख के इनामी नक्सली बादल उर्फ कोसा को मलाजखंड क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। 2020 में नवंबर और दिसंबर में किरनापुर व बैहर के जंगलों में कई 14 लाख के इनामी नक्सली ढेर किए गए। 2021 में लांजी और बिरसा क्षेत्र से 14 लाख के इनामी नक्सलियों की गिरफ्तारी की गई। 2022 के जून माह में बहेला थाना अंतर्गत खराड़ी जंगल क्षेत्र में एक ही दिन में 29 लाख और 14 लाख के इनामी नक्सलियों सहित तीन बड़े नक्सलियों को मार गिराया गया। 2022, 2023 और 2024 में गढ़ी, मलाजखंड और लांजी क्षेत्र में 20 से 29 लाख तक इनामी कई नक्सलियों को पुलिस ने ढेर किया। 2025 में 2 नवंबर को महिला नक्सली सुनीता ओयाम ने आत्मसमर्पण किया, जिसके सिर पर तीन राज्यों में कुल 14 लाख का इनाम था। इसके बाद 19 नवंबर 2025 को हॉकफोर्स निरीक्षक आशीष शर्मा के शहीद होने की घटना ने पूरे अभियान को और अधिक सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता बताई।

    अभियान का लक्ष्य और आगे की रणनीति

    एसपी आदित्य मिश्रा की स्पष्ट रणनीति है कि जिले को नक्सल कलंक से पूरी तरह मुक्त किया जाए। उनके नेतृत्व में पुलिस और फोर्स अभी से जंगलों में सक्रिय है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में अभियान और भी तेज होगा। मार्च 2026 तक नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियां समन्वय के साथ कार्य कर रही हैं। जंगलों में बढ़ी हलचल, बड़ी फोर्स की तैनाती और नक्सलियों के खिलाफ कड़ा संदेश यह दर्शाता है कि बालाघाट एक निर्णायक मोड़ पर है। यदि अभियान इसी गति से जारी रहा, तो आने वाले समय में जिले को नक्सल-प्रभावित इलाकों की सूची से बाहर निकलने का अवसर मिल सकता है।

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