प्रशासनिक मिलीभगत या अंधा कानून? आबकारी अधिकारी की नाक के नीचे चल रहा ‘खुलेआम जाम’ का खेल!

Rashtrabaan

    सिवनी, राष्ट्रबाण। सरकारें शराबबंदी और सार्वजनिक स्थानों पर नशा मुक्ति के दावे करते नहीं थकतीं, लेकिन धरातल पर सच्चाई इन दावों को मुँह चिढ़ा रही है। ताज़ा मामला आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। जहाँ आबकारी अधिकारी विनोद खटीक की कथित मौजूदगी और जानकारी के बावजूद भी नियमों की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।

    प्राप्त तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है कि शराब दुकान के ठीक सामने या फिर कहे आस पास पर शराबियों का जमघट लगा हुआ है। नियमतः शराब दुकान से शराब खरीदकर उसे सार्वजनिक स्थान पर पीना अपराध है। लेकिन यहाँ नजारा कुछ और ही है जहां पूरी दुकान के आसपास का क्षेत्र ओपन बार में तब्दील कर दिया गया है।

    हैरानी की बात यह है कि शराब दुकान ठेकेदार केवल शराब ही नहीं, बल्कि उसके साथ पानी के पाउच, डिस्पोजल गिलास और अन्य सामग्री भी धड़ल्ले से बेच रहे हैं। यह सब कुछ इसलिए किया जा रहा है ताकि पियक्कड़ों को दुकान के बाहर ही पूरी सुविधा मिल सके। प्रशासन की यह कैसी मुस्तैदी है कि अधिकारी की आँखों के सामने ही चखना और डिस्पोजल की दुकानें सज रही हैं?

    यदि बात किया जाए नियमों की तो आपकारी विभाग धज्जियां में पीछे नहीं रहता। जबकि आबकारी नियमों के अनुसार दुकान के बाहर भीड़ जमा होना और शराब पीना पुनः प्रतिबंधित है। वही अधिकारी की चुप्पी कि बात करे तो विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारी विनोद खटीक के संज्ञान में यह सब है तो कार्रवाई न होना किसी सांठगांठ की ओर इशारा करता है।

    शराबियों के खुलेआम तांडव और सड़क पर खड़े वाहनों के कारण राहगीरों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों का वहां से निकलना दूभर हो गया है। क्या आबकारी विभाग ने शराब माफियाओं और दुकान ठेकेदारों को खुली छूट दे रखी है? आँखों पर पट्टी बांधे बैठे अधिकारी शायद किसी बड़ी अप्रिय घटना का इंतज़ार कर रहे हैं। यदि समय रहते इन अवैध गतिविधियों पर लगाम नहीं कसी गई, तो यह खुला खेल शासन की छवि को और अधिक धूमिल करेगा।

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