सिवनी, राष्ट्रबाण। भाजपा में अपने आपको लोकसभा का दावेदार बताने वाले भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष वैभव पंवार के लिए भाजपा में ही एक राय नहीं है। पार्टी के कुछ कार्यकर्त्ता ही दबी जुबान पर कहते है कि वैभव पंवार अगर प्रदेश स्तर के बड़े नेताओ की चरण वंदना नहीं करते तो वह उनके चहिते नहीं होते और न ही उन्हें प्रदेश स्तर पर पहचान और पद मिल पाते।
बात अगर भाजयुमो की करे तो मोर्चा के ही कार्यकर्त्ता यह बात मानते है की अभिलाष पांडेय के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए भाजयुमो एक मजबूत मोर्चा के रूप में उभरा था लेकिन जब से वैभव पंवार मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बने है पुरे प्रदेश में मोर्चा के कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास टुटा है और मोर्चा कमजोर हुआ है। राष्ट्रबाण ने मोर्चा के कई कार्यकर्ताओं से चर्चा की तो उन्होंने दबी जुबान पर स्वीकार किया की वैभव मोर्चा को संभालने में सफल नहीं रहे उनके कार्यकाल को सफल कहा जा सकता लेकिन पार्टी के बड़े नेताओ का आशीर्वाद पा कर वह इस मुकाम पर पहुंच गए है। अनुशासन हीनता के भय के कारण कोई भी कार्यकर्त्ता कुछ कहने से बचता है। एक कार्यकर्त्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया भाजपा में कई बड़े नेता है जो वैभव को पसंद नहीं करते और वैभव पंवार युवाओ के बीच भी कोई लोकप्रिय नहीं है। युवा चौपाल जैसे कार्यक्रमों में हमे अपने साथियो को जबरन बुलाया जाता था लेकिन वह प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर आने को तैयार नहीं होते थे, यही वजह रही की वैभव पंवार के कार्यकाल में हुए युवा चौपाल पूरी तरह से विफल रहा। वर्तमान में वैभव बालाघाट लोकसभा से दावेदारी कर रहे है लेकिन उनकी दावेदारी मोर्चा का बड़ा तबका खुश नहीं है। राजनैतिक सूत्रों की माने तो जिला स्तर के नेताओं की मंशा नहीं है की भाजपा उन्हें टिकिट दे लेकिन प्रदेश के एक बड़े नेता के कारण वैभव को आगे करना उनकी मज़बूरी है। यही नहीं सूत्रों का तो यह भी मानना है की दोनों जिले के जिलाध्यक्ष को सिर्फ एक नाम पर सहमति बनाने के लिए कहा गया है। लेकिन भाजपा में जिस तरह से दावेदारों ने अपनी दावेदारी पेश की है एक राय हो कर वैभव के नाम पर मुहर लगना संभव प्रतीत नहीं होता।
मोर्चा में पकड़ कमजोर
वैभव पंवार के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद से ऐसी कई घटना हुई है जिससे वैभव पंवार की मोर्चा के अंदर की कमजोरी को उजागर किया है। इंदौर में हुई घटना जिसने काफी चर्चा में रही , जहां कार्यकर्ताओ के बीच हुए विवाद ने प्रदेश भर में सुर्खियां बटोरा था। कार्यकर्ताओ के बीच हुई जूतमपैजार में प्रदेशाध्यक्ष वैभव पंवार को अपनी पीठ बचाते हुए भागने में मजबूर कर दिया था। भाजयुमो के इस विवाद को कांग्रेस ने चटकारे लेते हुए भाजयुमो पर तंज कसते हुए मोर्चा और पार्टी के चाल चरित्र और अनुशासन पर भी उंगलिया उठाई थी लेकिन वही दूसरी तरफ वैभव पंवार मौन रहे थे।